Change in Bangladesh School Textbooks : मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बांग्लादेश का इतिहास बदलने में लगी है. अंतरिम सरकार स्कूली पाठ्यपुस्तकों में बदलाव कर रही है. इस बदलाव में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी और देश की पूर्व पीएम शेख हसीना से जुड़ी पाठ्य सामग्री को हटाना शामिल है. जहां किताबों से शेख मुजीब का जिक्र हटाया गया वहीं इसमें बांग्लादेश की आजादी में भारत के योगदान को भी कम किया गया है.
इसमें भारत की भूमिका का जिक्र है लेकिन इससे जुड़ी काफी तस्वीरों को हटा दिया गया है. इसके अलावा नई किताबों में 2024 में हुए विरोध प्रदर्शनों को क्रांति के तरह पेश किया गया. शेख हसीना की सत्ता गिरने के बाद शासन में बैठी दक्षिणपंथी सोच वाली अंतरिम सरकार देश में कई तरह के बदलाव कर रही है और पाठ्यक्रम में बदलाव भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है.
441 स्कूली किताबों में किए गए बदलाव
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में शिक्षा मंत्रालय ने 57 विशेषज्ञों की एक टीम गठित की. इस टीम ने 441 स्कूली किताबों में कई बदलाव किए. ये सभी किताबें प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में इस्तेमाल की जाती है. बदलाव के बाद बांग्लादेश में 40 करोड़ से ज्यादा नई किताबें छापी गई है. किताबों में बदलावों के पीछे का मुख्य कारण शेख हसीना और उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान को किताबों से हटाना दिखता है. इसके अलावा 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत की भूमिका को भी कम दिखाने की कोशिश की गई है.
इंदिरा गांधी की तस्वीर किताब से गायब
किताबों में बदलाव के बाद क्लास 6 के किताब से शेख मुजीब और तत्काली भारतीय पीएम इंदिरा गांधी की दो तस्वीरों को हटाया गया. एक फोटो में मुजीब भाषण दे रहे हैं और गांधी उनके साथ मंच साझा कर रही है. वहीं, दूसरी फोटो 17 मार्च, 1972 की है, जब मुजीब ने ढाका हवाई अड्डे पर इंदिरा गांधी का स्वागत किया है. वहीं, दुनिया के अन्य नेताओं के साथ भी शेख मुजीब की फोटो हटा दी गई है.
इसके अलावा इसमें राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को पहले पेज से हटाकर पीछे कर दिया है और इसमें एक मुक्तिजुद्धो (बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम) के कई नेताओं को शामिल किया गया है.
पाकिस्तान की सरेंडर की तस्वीर बरकरार
कक्षा 5 की किताबों में ‘पाकिस्तानी बहिनीर अंतमोसमर्पण ओ अमोदर बिजॉय (पाक सेना का आत्मसमर्पण और हमारी जीत)’ शीर्षक वाले अध्याय में 1971 के पाकिस्तान के आत्मसमर्पण को बरकरार रखा गया है. हालांकि, किताब से इसे भी हटाए जाने का अंदेशा था लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स से रहने दिया.
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