सुप्रीम कोर्ट ने रेप और धर्मांतरण के एक मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई है. मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने कहा कि जबरदस्ती कंवर्जन एक्ट लगाकर मामले का मनमाने तरीके से निपटारा कर दिया गया. पुलिस का ये रवैया पक्षपातपूर्ण था. सीजेआई संजीव खन्ना एक शख्स की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जो 8 महीनों से जेल में बंद है और उसने जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि वह पिछले आठ महीनों से जेल में है और उसको उसकी किसी गलती के लिए नहीं बल्कि सिर्फ एक महिला की मदद करने के यहां भेज दिया गया है. याचिकाकर्ता पर उत्तर प्रदेश प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कंवर्जन ऑफ रिलिजन एक्ट, 2021 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पिछली सनुवाई में याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि वह महिला की सहमति से उसके साथ रिश्ते में था और दोनों काफी लंबे समय से एकदूसरे को जानते थे. शिकायतकर्ता का उसकी पहली शादी से एक बच्चा भी, लेकिन गलत आरोपों की वजह से याचिकाकर्ता को जेल भेज दिया गया.

गुरुवार (20 मार्च, 2025) को सुनवाई करते हुए सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, ‘मैं तो हैरान हूं, मैं वो शब्द इस्तेमाल नहीं करना चाहता, लेकिन राज्य पुलिस ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है… आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? फैक्ट्स खुद सब बोलते हैं और आप जबरदस्ती कंवर्जन एक्ट लगा रहे हैं.’ कोर्ट ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितयों को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता को जमानत दी जाती है और इस बात का भी ख्याल रखने की जरूरत है कि उसका एक बच्चा भी है.

फैसला सुनाने के बाद सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, ‘इस केस में कुछ भी नहीं है. यूपी पुलिस ने इस मामले में सही रवैया नहीं अपनाया है. तथ्य खुद सब बता रहे हैं और आपने इसमें धर्मांतरण कानून लगा दिया, जिसकी कोई जरूरत ही नहीं थी.’ अब कोर्ट 5 मई को यह मामला सुनेगा. कोर्ट ने पुलिस को भी जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्तों का समय दिया है. यूपी पुलिस के वकील ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने की मांग करते हुए अतिरिक्त समय मांगा था क्योंकि इस मामले में गैंगरेप के भी चार्ज लगे हैं.

 

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