नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तांबे पर टैरिफ लगाने की बात कही है। इससे तांबे की कीमत 10,000 डॉलर प्रति टन से ऊपर चली गई है। न्यू एनर्जी के लिए तांबा बहुत जरूरी हो गया है। इसके अलावा यह बिजली और इलेक्ट्रॉनिक्स में भी काम आता है। ट्रंप के टैरिफ की आशंका से व्यापारी तांबा अमेरिका भेजने लगे हैं। इससे बाकी देशों में तांबे की सप्लाई कम हो गई है और दाम बढ़ गए हैं। लेकिन भारत में दो बड़े औद्योगिक घरानों बिड़ला ग्रुप और जेएसडब्ल्यू ने देश में कॉपर की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए बड़ी घोषणा की है।आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने आज कहा कि उनकी कंपनी हिंडाल्को भारत में अपने मेटल के कारोबार में 45,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। बिड़ला ने हिंडाल्को के एक कार्यक्रम में कहा, ‘हम एल्यूमीनियम, तांबा और स्पेशियलिटी एलुमिना कारोबार में 45,000 करोड़ रुपये लगा रहे हैं।’ उन्होंने यह भी बताया कि वह भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कॉपर फॉइल बनाने का कारखाना भी लगाएंगे। EV आजकल बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं और उनमें तांबे की पन्नी का इस्तेमाल होता है।

ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी में बड़ा ट्विस्‍ट, भारत के लिए अच्‍छा या और होने जा रहा है खराब?

कंपनी का लेखाजोखा

हिंडाल्को दुनिया भर में 52 प्लांट चलाती है और 47,000 लोग इसमें काम करते हैं। हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड, आदित्य बिड़ला ग्रुप की मेटल कंपनी है। यह 26 बिलियन डॉलर की कंपनी है। हिंडाल्को रेवेन्यू के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी एल्यूमीनियम कंपनी है और चीन के बाहर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कॉपर रॉड बनाने वाली कंपनी है। कंपनी ने दिसंबर तिमाही में 60% की ग्रोथ के साथ 3,735 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। इस दौरान कंपनी का रेवेन्यू 58,390 करोड़ रुपये रहा।

इस बीच जेएसडब्ल्यू ग्रुप भी तांबे के कारोबार में उतर रहा है। रॉयटर्स ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि जेएसडब्ल्यू ग्रुप ओडिशा में 2028-29 तक 500,000 टन क्षमता का तांबा पिघलाने का प्लांट लगाएगा। इसमें करीब 120 अरब रुपये का निवेश होगा। 2033-34 तक इसकी क्षमता को 1 मिलियन टन तक बढ़ाने का लक्ष्य है। इसके लिए तांबे का कच्चा माल पेरू और चिली से आएगा। जनवरी में जेएसडब्ल्यू ने कहा था कि वह 301.22 मिलियन डॉलर के निवेश से हिंदुस्तान कॉपर की दो तांबा खदानों का संचालन 20 साल के लिए करेगा। इसे 10 साल तक बढ़ाया भी जा सकता है।

पसंद करें या नहीं, यही सच है… ट्रंप के टैरिफ पर जयशंकर की खरी-खरी, समझा द‍िया दुन‍िया का गण‍ित

तांबे का यूज

तांबा उतना ही जरूरी है जितने लिथियम और कोबाल्ट। इनका इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरी में होता है। तांबे का यूज सेलफोन, एलईडी लाइट और फ्लैट-स्क्रीन टीवी में होता है। तांबे का इस्तेमाल तारों और ट्रांसमिशन लाइनों में होता है। भारत अपनी जरूरत का तांबा आयात करता है। 2023 में भारत ने तांबे को 30 महत्वपूर्ण खनिजों में शामिल किया था। 2018 में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर प्लांट के बंद होने के बाद से भारत का तांबा आयात बढ़ गया है। यह प्लांट लगभग 400,000 टन तांबा बनाता था।

फिलहाल, भारत में सिर्फ हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और सरकारी कंपनी हिंदुस्तान कॉपर ही तांबा बनाती हैं। पिछले साल अडानी ग्रुप ने भी 1.2 बिलियन डॉलर का तांबा प्लांट लगाया है। यह गुजरात में है और दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल-लोकेशन प्लांट है। सरकार ने कुछ महीने पहले कहा था कि अडानी की कच्छ कॉपर रिफाइनरी जब पूरी क्षमता से काम करने लगेगी तो देश रिफाइंड तांबे के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा।

पुणे में बनेगा देश का पहला ट्रंप ब्रांड ऑफिस, नाम होगा- Trump World Center, जानें क्या होंगी खूबियां

भारत में खपत

भारत में रिफाइंड तांबे का उत्पादन लगभग 555,000 टन प्रति वर्ष है, जबकि घरेलू खपत 750,000 टन से ज्यादा है। भारत हर साल लगभग 500,000 टन तांबा आयात करता है। उद्योग के अनुमानों के अनुसार 2030 तक भारत में तांबे की मांग दोगुनी हो सकती है। भारत में प्रति व्यक्ति तांबे की खपत लगभग 0.6 किलोग्राम है, जबकि वैश्विक औसत 3.2 किलोग्राम है।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *