ऑनलाइन जालसाजों ने इस साल जनवरी से सितंबर तक मिजोरम के लोगों से 8 करोड़ रुपए ठगे हैं. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि साइबर अपराध के करीब 80 फीसदी मामले ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के हैं. जालसाजों के हाथों लोगों के पैसे का सबसे ज्यादा नुकसान जुलाई में 2.57 करोड़ रुपए और मार्च में 1.59 करोड़ रुपए का हुआ है. 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जालसाजों से पैसे वापस पाना एक चुनौती बना हुआ है, क्योंकि ठगे गए पैसे का सिर्फ 10 फीसदी ही अब तक बरामद हो पाया है. ऑनलाइन धोखाधड़ी में मिजोरम में सबसे आम ‘सेना घोटाला’ है, जिसमें जालसाज सैन्यकर्मी बनकर पीड़ितों को फोन करते हैं. सस्ते दामों पर सामान बेचने के बहाने पैसे हड़प लेते हैं.

उन्होंने कहा कि अधिकांश साइबर अपराधी बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड से अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं. बताते चलें कि असम सहित पूरे देश में साइबर फ्रॉड के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं. असम में तो 2,200 करोड़ रुपए के साइबर फ्रॉड का खुलासा हो चुका है. साइबर ठगी के इन मामलों पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने गंभीरता जताई है. 

असम मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की थी कि ऐसे इनवेस्मेंटमेंट ब्रोकर से सावधान रहें, जो लीगल प्रोसेस फॉलो नहीं करते हैं. ये फर्म सेबी और आरबीआई की गाइडलाइंस को फॉलो नहीं करते हैं. इस दौरान कई लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई गवां दी है, जिसमें कई लोगों के लिए करोड़ों रुपए तक हैं. उन लोगों ने पुलिस कंप्लेंट भी दर्ज कराई है. 

मुख्यमंत्री ने कहा था कि ऐसा कोई सिस्टम नहीं है, जहां इन ऑनलाइन ट्रेडिंग फर्म ने रुपयों का इनवेस्ट किया है. ये साइबर ठग लोगों लोगों को धोखा दे रहे थे. ये लोग गैर कानूनी तरीके से काम कर रहे थे. पुलिस ने इनके खिलाफ एक्शन लेना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं साइबर दोस्त ने भी इस तरह के साइबर ठगों से सावधान रहने को कहा था.

उन्होंने कहा था, ”मैं लोगों से गुजारिश करता हूं कि वह साइबर ठगों से दूर रहें. पुलिस ने गैर कानूनी ब्रोकर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. हम राज्य में चल रहे पूरे रैकेट का भंडाफोड़ करेंगे. पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया था, जो इनवेस्टमेंट नेटवर्क को चला रहा था. इसके अलावा साइबर ठग लोगों को लूटने के लिए अलग तरकीब का इस्तेमाल करते हैं.”

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