नई दिल्ली: दिवाली के बाद दिल्ली का पल्यूशन लेवल धीरे-धीरे बढ़ रहा है। दिल्ली से सटे नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी जहरीली हवाएं दम घोंट रही हैं। शनिवार सुबह में दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील हो गया था। हवा की गति बढ़ने के साथ दोपहर तक स्मॉग में कमी देखने को मिली। दिल्ली में रात 8 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350 दर्ज किया गया।शनिवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग की एक परत छा गई, जिससे एयर क्वालिटी इंडेक्स में ‘खराब’ स्तर दर्ज किया गया। दीपावली के दो दिन बाद भी पटाखों पर लगी सरकारी रोक के बावजूद ऐसा हुआ। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, शनिवार सुबह 7:30 बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 294 था, जिसमें 18 इलाकों में एक्यूआई 300 से ऊपर था, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।

यहां के हालात सबसे खराब

सबसे प्रभावित इलाकों में आनंद विहार (380), आईजीआई एयरपोर्ट (341), आरके पुरम (340), और पंजाबी बाग (335) शामिल थे। इसके अलावा, 19 अन्य इलाकों में एक्यूआई 200-300 के बीच था, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है, जिनमें अलीपुर (295), जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (284) और मुंडका (288) भी शामिल हैं।

पल्यूशन की चपेट में पूरा एनसीआर

दिल्ली के पड़ोसी शहरों में, हरियाणा के फरीदाबाद में एक्यूआई 165 था जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है, जबकि गुरुग्राम में एक्यूआई 219 था, जो ‘खराब’ श्रेणी में गिना गया। उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में एक्यूआई 308 रहा, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है। ग्रेटर नोएडा में 202, जो ‘खराब’ श्रेणी में है और नोएडा में एक्यूआई 250 पर था, जो समान रूप से ‘खराब’ एयर क्वालिटी को दर्शाता है। शुक्रवार को, दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में ही रही, क्योंकि कई लोगों ने पटाखा बैन और सरकारी अपीलों के बावजूद शुक्रवार रात तक पटाखे जलाए।

नियमों की अनदेखी कर रहे लोग

पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली की एयर क्वालिटी में गिरावट देखी गई है, जिसका मुख्य कारण पराली जलाना और हवा का धीमा होना है।दिल्ली सरकार ने 14 अक्टूबर से 1 जनवरी, 2025 तक पटाखों पर रोक लगाई थी और इस नियम को सख्ती से लागू करने के लिए 377 प्रवर्तन टीमें तैनात की थीं। हालांकि, कई लोगों ने इस रोक की अनदेखी कर दीपावली का जश्न मनाया, जिससे दिल्ली की एयर क्वालिटी पर बुरा असर पड़ा।

याददाश्त पर बुरा असर डाल सकता है पल्यूशन

लंबे समय तक वायु प्रदूषण के कण जैसे पीएम 2.5 के संपर्क में रहना सभी उम्र के लोगों की याददाश्त और दिमागी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। एक रिसर्च में यह पता चला है। 8,500 बच्चों पर आधारित इस रिसर्च में पाया गया कि वायु प्रदूषण का एक घटक, अमोनियम नाइट्रेट, जो आमतौर पर कृषि कार्यों के कारण उत्पन्न होता है, 9-10 साल की उम्र के बच्चों की सीखने और याददाश्त की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। अध्ययन के अनुसार, पीएम 2.5 का यह घटक, अमोनियम नाइट्रेट, बड़ों में अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा बढ़ाता है। इससे पता चलता है कि पीएम 2.5 पूरे जीवनकाल में मानसिक सेहत पर बुरा असर डाल सकता है।

(इनपुट- आईएएनएस)

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