Delhi Riots Case: साल 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान एक ऑटो चालक बब्बू की हत्या से जुड़े मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने 8 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिया है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने मामले में सबूतों के अभाव में 11 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया. कड़कड़डूमा कोर्ट ने राहुल उर्फ ​​अजय, संदीप उर्फ ​​संजीव, हरजीत सिंह उर्फ ​​हैप्पी, कुलदीप, भारत भूषण उर्फ ​​लकी, धर्मेंद्र उर्फ ​​धाम, सचिन गुप्ता उर्फ ​​मोप्पी और सचिन रस्तोगी के खिलाफ आरोप तय किया है. 

कड़कड़डुमा कोर्ट ने कई धाराओं के तहत आरोप किए तय

कड़कड़डुमा कोर्ट ने मामले से जुड़े आठ आरोपियों के खिलाफ पर धारा 148, 153-A, 302 आईपीसी के साथ 149 आईपीसी और 188 आईपीसी के तहत आरोप तय किया है.  कोर्ट ने आठ आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 148 (घातक हथियार के साथ दंगा करना), 153-ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 302 आईपीसी के साथ 149 (गैरकानूनी सभा द्वारा हत्या) और 188 (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा का उल्लंघन) के तहत प्रथम दृष्टया सबूत पाया कोर्ट ने मामले में आईपीसी की धारा 120-बी के तहत षड्यंत्र रचने और आईपीसी की धारा 505 के तहत भड़काऊ बयान देने के आरोप हटा दिया. 

कड़कड़डुमा कोर्ट ने अपने आदेश में कहा 

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हिंदू भीड़ का सामान्य उद्देश्य हिंसा को भड़काना था और आरोपी बब्बू पर जानलेवा हमले में सक्रिय रूप से शामिल थे. कोर्ट ने कहा कि कई गवाहों के बयान, फोरेंसिक रिपोर्ट और मोबाइल फोन डेटा ने दिल्ली पुलिस के दावों का समर्थन किया है . कोर्ट ने कहा कि गवाहों की गवाही और वीडियो फुटेज से पता चला कि बब्बू को खास तौर पर हिंदू भीड़ के सदस्यों ने निशाना बनाया और पीटा.

कोर्ट ने कहा कि कई सार्वजनिक गवाहों और पुलिस अधिकारियों ने डोजियर की तस्वीरों और वीडियो क्लिप में आरोपी की पहचान की है. कोर्ट ने टिप्पणी किया कि ऐसा नहीं है कि इनमें से किसी भी आरोपी पर सह-आरोपी के खुलासे के आधार पर आरोप लगाया गया है. कोर्ट ने कहा कि अगर जांच अधिकारी ने गवाहों द्वारा वीडियो में उन सभी की पहचान नहीं करवाई है तो इसे जांच अधिकारी की ओर से चूक माना जा सकता है, लेकिन जांच अधिकारी की ऐसी चूक गवाहों के साक्ष्य को खत्म नहीं करती है.

कोर्ट ने मामले से जुड़े 11 आरोपियों को किया बरी

कड़कड़डूमा कोर्ट  ने मामले में 11 आरोपियों रिजवान, इसरार, तय्यब, इकबाल, जुबेर, मारूफ, शमीम उर्फ ​​लाला, आदिल, शाहबुद्दीन, फरमान और इमरान को बब्बू के हमले में शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिलने के बाद बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि वीडियो साक्ष्य से स्पष्ट है कि यह आरोपी घातक हमले में शामिल नहीं थे. इसके बजाय, वह सहानुभूति रखने वाले प्रतीत होते हैं, जिन्होंने बाद में पीड़ित पर हमला होने के बाद उससे संपर्क किया. दरअसल 2020 में दिल्ली के खजूरी चौक पर हिंसक झड़पों में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के पथराव में बब्बू के सिर में गंभीर चोटें आईं और 27 फरवरी, 2020 को उसकी मौत हो गई थी. 

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