‘दुपहिया’ एक हिंदी वेब सीरीज है जो 7 मार्च 2025 को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई. यह एक ग्रामीण कॉमेडी-ड्रामा है जो बिहार के काल्पनिक गांव धड़कपुर में सेट है, जिसे ‘बिहार का बेल्जियम’ कहा जाता है क्योंकि यह 25 साल से कोई अपराध नहीं हुआ. कहानी शुरू होती है जब एक कीमती मोटरबाइक, जो शादी का तोहफा थी, समारोह से कुछ दिन पहले गायब हो जाती है. इससे गांव की इज्जत, एक जयंती ट्रॉफी और शादी सब कुछ दांव पर लग जाते हैं. इसके बाद दुल्हन के परिवार वाले पिता बनवारी झा (गजराज राव), दुल्हन रोशनी (शिवानी रघुवंशी), और उसका रील्स का दीवाना भाई भूगोल (स्पर्श श्रीवास्तव) के साथ-साथ गांव के अन्य किरदार जैसे वार्ड मेंबर पुष्पलता (रेनुका शहाने) और रोशनी का पुराना प्रेमी अमावस (भुवन अरोड़ा) इस रहस्य को सुलझाने में जुट जाते हैं.

मजेदार कहानी है ‘दुपहिया’

‘दुपहिया’ एक हल्की-फुल्की, परिवार के साथ देखने लायक सीरीज है जो OTT की भारी-भरकम ड्रामों से अलग हटकर है. इसकी खासियत है इसकी सादगी और गांव की जिंदगी का मजेदार दृश्य जैसे- बिजली कटौती, भैंसों की आवाजें, और नीम के पेड़ तले गपशप. हास्य साफ-सुथरा और ताजा है, एकदम सटीक डायलॉग्स और हल्के-फुल्के सीन आपको हंसाते रहते हैं. कलाकारों का प्रदर्शन शानदार है, सीरीज में गजराज राव अपने किरदार में गर्मजोशी और चतुराई लाते हैं, स्पर्श श्रीवास्तव अपनी ऊर्जा से सीन चुरा लेते हैं, और बाकी कलाकार गांव की सजीवता को बढ़ाते हैं. सीरीज दहेज, रंगभेद और महिलाओं के सशक्तिकरण जैसे मुद्दों को भी हल्के से छूती है, बिना कोई उपदेश दिए.

हालांकि अंत थोड़ा जल्दबाजी में किया गया है

हालांकि, कुछ कमियां भी हैं. नौ एपिसोड की लंबाई इस साधारण कहानी के लिए थोड़ी ज्यादा लगती है, और बीच में रफ्तार धीमी पड़ती है. कुछ हास्य सीन जबरदस्ती के लगते हैं, और बाइक के गायब होने का रहस्य अंत में उतना दमदार नहीं रहता जितना बनाया गया था. ‘पंचायत’ जैसे शो से तुलना करें तो ‘दुपहिया’ वैसी गहराई या तेजी नहीं पकड़ पाती, हालांकि यह अपने आप में एक मनोरंजक कहानी है. अंत थोड़ा जल्दबाजी में निपटाया गया लगता है, और सामाजिक संदेश अधूरे से रह जाते हैं.

गांव की सैर कराती है कहानी

“दुपहिया” एक मजेदार, आरामदायक सीरीज है, जो वीकेंड पर हल्का मनोरंजन चाहने वालों के लिए बढ़िया. यह कोई क्रांतिकारी शो नहीं है, लेकिन इसका दिल, हास्य और शानदार अभिनय इसे देखने लायक बनाते हैं. अगर आपको ‘पंचायत’ पसंद आई या आप भारी कंटेंट से ब्रेक चाहते हैं, तो यह गांव की इस सैर का लुत्फ उठाएं. रेटिंग: 3.5/5—इसके आकर्षण के लिए, हालांकि यह और कसा हुआ हो सकता था.

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