सभासद ने रिक्शा छुड़वाने के लिए काफी पैरवी की, लेकिन उसका रिक्शा छोड़ा नहीं गया। इस बात से फूलचंद जायसवाल दुखी था और बार-बार यह कह रहा था कि साहब मैं अभी कुछ दिनों पहले रिक्शा खरीदने के बाद 40 हजार रुपये की बैटरी लगवाया हूं। रिक्शा पकड़ गया, अब मैं मर जाऊंगा। यह बात कोतवाली में भी चिल्ला के वह कह रहा था, लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी और वह इसी बात से कुपित होकर निराश अपने घर लौट आया। रिक्शा पकड़ जाने के कारण वह बहुत तनाव में था। उसका कहना था कि पुराना रिक्शा लिया था, जिसमें उसने 40 हजार की बैटरी कर्ज लेकर डलवाया था। अभी उसका कर्ज चुकता नहीं हो पाया था और दूसरी बार रिक्शा पकड़ गया। रात में यह वेदना वह झेल नहीं पाया और आत्महत्या के लिए मजबूर हो गया।
मृतक के दो छोटे बच्चे हैं। घर में और कोई नहीं है। बच्चे अनाथ हो गए। पत्नी प्रीति और पारिवारिकजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। इस घटना की सूचना कोतवाली पुलिस को दी गई। पुलिस ने पहुंचकर फांसी में लटके शव को उतरवाया और पंचनामा भरकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है। मृतक के भाई बड़े कन्हैयालाल जायसवाल का आरोप है कि पीटीओ और पुलिस उसके सीज किए गए रिक्शा को छोड़ने के लिए 50 हजार की मांग रखी थी, जिससे मृतक और भी टेंशन में था। पुलिस प्रशासन की दबंगई और गरीब पर रहम न करने के कारण वह आत्महत्या करने को मजबूर हुआ है।
वहीं, इस मामले में एआरटीओ विवेक शुक्ला का कहना है कि मामला सोशल मीडिया के माध्यम से उनके संज्ञान में आया है। मामले की जांच की जा रही है। परिवहन विभाग के अभिलेख में फूलचंद जायसवाल के नाम से कोई ई-रिक्शा पंजीकृत नहीं है। न ही उसके नाम से कोई डीएल विभाग द्वारा जारी किया गया है।