नई दिल्ली: लोग अब बैंकों में पैसे जमा करने के बजाय बाजार से जुड़े इन्‍वेस्‍टमेंट प्रोडक्‍टों में ज्यादा दिलचस्‍पी दिखा रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं। वित्त मंत्रालय ने संसद को यह जानकारी दी है। मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि इससे उन्हें नुकसान भी हो सकता है। बाजार में उतार-चढ़ाव होने या निवेश की अच्छी समझ नहीं होने पर इसकी आशंका बढ़ जाती है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि बैंकों में जमा कम होने से बैंकों को भी परेशानी हो सकती है। उन्हें पैसे जुटाने में दिक्कत होगी। उन्हें ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा।संसद की एक समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह बैंकों की मदद करे। लोगों में जागरूक फैलाए ताकि वे सोच-समझकर निवेश के फैसले लें। समिति ने बीमा सेक्‍टर में एफडीआई को लेकर भी कुछ चिंताएं जताई हैं। सरकार से सावधानी बरतने को कहा है। इसके अलावा, समिति ने जन धन खातों की जांच करने और लोगों की शिकायतों को दूर करने के लिए भी बोला है।

बैंकों से न‍िकलकर बाजार में जा रहा पैसा

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने संसद की स्थायी समिति को यह जानकारी दी। यह जानकारी अनुदानों की मांग पर दी गई। विभाग ने कहा कि लोग बैंकों से पैसे निकालकर बाजार में निवेश कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि बाजार में ज्यादा फायदा है। लेकिन, इससे उन्हें खतरा भी हो सकता है। अगर बाजार में गिरावट आती है तो उन्हें नुकसान हो सकता है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि उन्हें बाजार की अच्छी जानकारी नहीं है। उनमें वित्तीय समझ की कमी है।

विभाग ने यह भी कहा कि बैंकों में जमा कम होने से बैंकों के लिए मुश्किल हो सकती है। बैंकों को पैसे जुटाने में दिक्कत होगी। उन्हें सस्ते में पैसे नहीं मिलेंगे। इससे बैंकों को ज्यादा ब्याज देना होगा।

संसद की सम‍ित‍ि ने द‍िए हैं सुझाव

संसद की समिति ने इस मामले पर एक रिपोर्ट पेश की है। समिति ने सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं। समिति ने कहा है कि सरकार को बैंकों की मदद करनी चाहिए। बैंकों को ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। खासकर उन इलाकों में जहां बैंकिंग सेवाएं कम हैं। बैंकों को तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि उनका काम बेहतर हो सके। इससे बैंकों को CASA (चालू खाता बचत खाता) अनुपात में गिरावट से निपटने में मदद मिलेगी।

समिति ने बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति देने के बारे में भी बात की। समिति ने कहा कि सरकार को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। विदेशी कंपनियां भारत से मुनाफा अपने देश में भेज सकती हैं। इससे भारत में निवेश कम हो सकता है। घरेलू कंपनियों के फैसले लेने की ताकत कम हो सकती है। नौकरियों में भी कटौती हो सकती है। कारण है कि कंपनियां लागत कम करने के लिए ऑटोमेशन का इस्तेमाल कर सकती हैं। समिति ने यह भी कहा कि बीमा कंपनियां सिर्फ ज्यादा मुनाफे वाली पॉलिसी पर ध्यान दे रही हैं। वे गांवों और गरीब लोगों पर फोकस नहीं कर रही हैं। समिति ने सरकार से कहा है कि वह एफडीआई के नुकसानों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहे।

इंटीग्रेटेड ओम्‍बड्समैन स्‍कीम का ज‍ि‍क्र

समिति ने आरबीआई की इंटीग्रेटेड ओम्‍बड्समैन स्‍कीम यानी एकीकृत लोकपाल योजना के बारे में भी बात की। इस योजना के तहत लोगों की शिकायतों का समाधान किया जाता है। समिति ने कहा कि इस योजना के तहत शिकायतों की संख्या पिछले दो सालों में लगभग 50% बढ़ गई है। 2023-24 में लगभग 934,000 शिकायतें मिली थीं। समिति ने कहा कि सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी शिकायतों का समाधान हो सके।

समिति ने जन धन खातों के बारे में भी बात की। समिति ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन खातों में लेनदेन हो रहा है। ये खाते निष्क्रिय या फर्जी नहीं होने चाहिए। समिति ने खातों की अच्छी तरह से जांच करने और नियमित रूप से ऑडिट करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा कि अगर कोई गड़बड़ी मिलती है तो उसकी जांच होनी चाहिए। जो खाते लंबे समय से निष्क्रिय हैं या फर्जी पाए जाते हैं, उन्हें बंद कर देना चाहिए।

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