विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को G20 की एकता बनाए रखने में भारत और चीन के साझा कोशिशें करने पर जोर दिया. विदेश मंत्री ने माना कि दुनिया एक ध्रुवीकृत दौर से गुजर रहा है, ऐसे में G20 की महत्ता और भी बढ़ जाती है. जयशंकर दक्षिण अफ्रीका की दो दिवसीय यात्रा पर हैं, जहां वे G20 विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं.
जयशंकर की यह यात्रा दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में हो रही है, जो 2025 में G20 की मेजबानी करेगा. इस बैठक के साथ ही G20 की विभिन्न वार्ताओं का सिलसिला शुरू हो गया है. वे चीनी विदेश मंत्री वांग यी से द्विपक्षीय बैठक में भी मिले, जहां उन्होंने कहा, “ध्रुवीकृत वैश्विक हालात में, हमारे दोनों देशों ने G20 की स्थिरता बनाए रखने की दिशा में कड़ी मेहनत की है.”
यह भी पढ़ें: ‘वैश्विक एजेंडे को कुछ लोगों के हितों तक सीमित नहीं कर सकते’, G20 मंत्रियों की बैठक में जयशंकर का चीन पर निशाना
G20 की महत्वता पर चर्चा
G20 विश्व अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर चर्चा के लिए एक अहम मंच है और उसकी भूमिका आज की चुनौतीपूर्ण वैश्विक हालात में बेहद अहम है. इस संगठन में विश्व के प्रमुख 20 अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं, जिनमें भारत और चीन भी हैं. जयशंकर ने बताया कि G20 जैसे मंच भारत और चीन को संवाद के मौके प्रदान करते हैं, खासकर तब जब उनके संबंध चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे होते हैं.
भारत-चीन संबंधों में सुधार
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पिछले साल गर्मियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक को “द्विपक्षीय संबंधों में सबसे अहम” बताया. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का रास्ता साफ किया और दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद सीमा पर भी तनाव को कुछ कम किया गया, और इस बात की पुष्टि की कि एशियाई सभ्यताओं के रूप में भारत और चीन को परस्पर लाभकारी सहयोग करना चाहिए.
यह भी पढ़ें: अवैध प्रवासियों के साथ दुर्व्यवहार पर बवाल, विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया जवाब
एस जयशंकर ने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की!
जयशंकर ने उभरते हुए द्विपक्षीय मामलों पर चर्चा की, जिनमें सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के प्रबंधन की दिशा में कदम उठाना शामिल है. उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश सचिव ने हाल ही में चीन का दौरा किया और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. इस द्विपक्षीय बैठक के जरिए दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ. इनके अलावा, जयशंकर ने कहा कि यह वार्ता समग्र द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होगी.