नई दिल्‍ली: हल्दीराम स्नैक्स फूड्स में तगड़ी डील हुई है। सिंगापुर की कंपनी टेमासेक ने इसमें हिस्सेदारी खरीदी है। इस डील के बाद हल्दीराम की वैल्‍यूएशन लगभग 8,500 करोड़ रुपये आंकी गई है। शार्क टैंक इंडिया के जज अनुपम मित्तल ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म ‘एक्‍स’ पर लिखा, ‘एक लाख करोड़ की भुजिया? कमाल है इंडिया।’ यह डील 11 मार्च को हुई। इससे भारत के एफएमसीजी सेक्टर में विदेशी निवेश का नया अध्याय शुरू हुआ है।हल्दीराम भारत की एक बड़ी नमकीन कंपनी है। टेमासेक ने इसमें 9-10% हिस्सेदारी खरीदी है। यह भारत के एफएमसीजी सेक्टर में विदेशी निवेश के लिहाज से बड़ी डील है। इस डील के बाद हल्दीराम की कीमत लगभग 10 अरब डॉलर यानी करीब 8,500 करोड़ रुपये आंकी गई है। कई महीनों की बातचीत के बाद 11 मार्च को यह डील हुई। टेमासेक सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली कंपनी रही। इससे पता चलता है कि विदेशी कंपनियों को भारतीय बाजार में कितनी दिलचस्पी है।

क्‍या बोले अनुपम म‍ित्तल?

अनुपम मित्तल, जो शार्क टैंक इंडिया के जज और एक बड़े बिजनेसमैन हैं, ने इस डील पर अपनी राय दी है। उन्होंने एक्‍स पर लिखा, ‘एक लाख करोड़ की भुजिया? कमाल है इंडिया।’ उनका इशारा हल्दीराम की बढ़ी हुई कीमत की तरफ था। यह वाकई में हैरान करने वाला है। भुजिया बनाने वाली कंपनी की कीमत इतनी ज्यादा होना, भारत की तरक्की को दर्शाता है।

टेमासेक के लिए यह डील भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने का बड़ा मौका है। भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। यहां लोगों की खरीदारी की क्षमता भी बढ़ रही है। ऐसे में FMCG सेक्टर में निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है। टेमासेक पहले से ही कई भारतीय कंपनियों में निवेश कर चुकी है। मार्च 2024 तक टेमासेक का भारत में 37 अरब डॉलर का निवेश था। अगले तीन सालों में कंपनी 10 अरब डॉलर और निवेश करने की योजना बना रही है। यह दिखाता है कि टेमासेक भारत को कितना महत्व दे रही है।

भारत में टेमासेक का बड़ा न‍िवेश

टेमासेक ने भारत में कई बड़ी कंपनियों में निवेश किया है। मनीपाल हेल्‍थ में टेमासेक की 51% हिस्सेदारी है। इसके लिए उसने 2 अरब डॉलर का निवेश किया था। रिबेल फूड्स में भी टेमासेक ने 21 करोड़ डॉलर का निवेश किया था। इस निवेश के बाद रिबेल फूड्स की कीमत 1.4 अरब डॉलर हो गई। हल्दीराम में निवेश करके टेमासेक अपने पोर्टफोलियो को और मजबूत कर रही है। वह अब हेल्थकेयर और फूड टेक्नोलॉजी के अलावा पैकेज्ड फूड सेक्टर में भी कदम रख रही है।

हालांकि, टेमासेक ने अभी सिर्फ 9-10% हिस्सेदारी ही खरीदी है, लेकिन चर्चा है कि ब्‍लैकस्‍टोन और अल्‍फा वेव ग्‍लोबल भी हल्दीराम में 5% हिस्सेदारी खरीद सकते हैं। कहा जा रहा है कि हल्दीराम के मालिक और भी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो और भी विदेशी निवेश आ सकता है। हल्दीराम भारत का एक जाना-माना ब्रांड है। इसकी नमकीन और मिठाई काफी लोकप्रिय हैं। हल्दीराम की 10 अरब डॉलर की कीमत भारत के FMCG सेक्टर की मजबूती को दिखाती है। इस सेक्टर में देशी और विदेशी दोनों निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है।

जैसे-जैसे विदेशी निवेश बढ़ेगा, वैसे-वैसे पैकेज्ड फूड बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी। भारत में ग्राहकों की बड़ी संख्या और बढ़ती हुई वैश्विक दिलचस्पी के साथ FMCG सेक्टर आने वाले सालों में और भी तेजी से बढ़ने वाला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे कौन सी कंपनियां इस सेक्टर में निवेश करती हैं और बाजार में क्या बदलाव आते हैं।

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