कंपनी के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्ता ने बताया कि निवेश के लिए जिस निजी व्यक्ति से मिलने की बात कही गई, उसने निवेश के लिए 5 प्रतिशत नकद मांगे। इस कंपनी के मालिक इस प्रॉजेक्ट को दूसरे प्रदेश में ले जा सकते हैं लेकिन वह चाहते हैं रिश्वतखोरी के जिम्मेदारों पर कार्रवाई के साथ इस प्रॉजेक्ट को नोएडा में ही मंजूरी दी जाए।
बदलाव की चल रही जांच
सोलर उपकरणों की कंपनी नोएडा में लगाने को इच्छुक इस कंपनी के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्ता ने कहा कि इन्वेस्ट यूपी की जिस मूल्यांकन समिति ने पहले SAEL सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड के प्रॉजेक्ट को हाई पावर कमिटी में ले जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। बाद में उसमें बदलाव करते हुए समिति के सामने दोबारा प्रस्तुत करने की अनुशंसा की।
समिति में इन्वेस्ट यूपी के तत्कालीन सीईओ अभिषेक प्रकाश के अलावा कई और अधिकारी भी शामिल थे। अब इस मामले में इस बिंदु पर भी जांच होगी कि अखिर मूल्यांकन समिति के अंतिम कार्यवृत्त में बदलाव किसने किया या किसके कहने पर दोबारा प्रॉजेक्ट को मूल्यांकन समिति के सामने पेश किए जाने का निर्णय लिया गया।
एक बार मूल्यांकन समिति की ओर से मंजूरी मिलने के बाद निवेश प्रस्तावों को हाई पावर कमिटी के पास भेजा जाता है। इस पूरे मामले में इन्वेस्ट यूपी में काम करने वाली कंसल्टिंग फर्म के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी जांच की जा रही है।
कई जगह खुले थे एजेंटों के ऑफिस
सूबे की राजनीतिक राजधानी लखनऊ से लेकर औद्योगिक राजधानी नोएडा के औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में फैले मिस्टर 5% की पहुंच सीनियर अफसरों से लेकर मंत्रियों के चेंबर में आम है। कमीशनखोरी के इस खेल को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाकर सोलर उपकरण बनाने को इच्छुक कंपनी के निदेशक ने चोरी-छिपे चल रहे लूट के खेल का खुलासा कर दिया।
करोड़ों के निवेश में कमीशनखोरी का रोड़ा बनने वाले ऐसे मिस्टर 5% प्रदेश की राजधानी ही नहीं जिले के तीनों अथॉरिटी में फैले हैं। कुछ अथॉरिटी में अफसरों ने इनको खुद अपने करीब रखा और जगह-जगह इनके कंसल्टेंसी के नाम पर ऑफिस खुले हैं।