India China Meeting: भारत और चीन के प्रतिनिधियों ने मंगलवार (25 मार्च 2025) को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूदा स्थिति, मानसरोवर यात्रा समेत कई मुद्दों पर समीक्षा बैठक की. इस बैठक में जल्द से जल्द फिर से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने पर चर्चा हुई. साल 2020 में सीमा पर बढ़े तनाव के कारण इसपर रोक लगा दी गई थी. इस बैठक का मुख्य मुद्दा मानसरोवर यात्रा था. हाल ही में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल फिर से शुरू करने पर सहमति बन गई है, लेकिन इसके तौर-तरीकों को अब भी तय किया जाना बाकी है.

भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 33वीं बैठक के दौरान यह विचार-विमर्श हुआ. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने किया, जबकि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक हांग लियांग ने किया.

LAC की स्थिति पर हुई समीक्षा

विदेश मंत्रालय ने कहा कि डब्ल्यूएमसीसी की बैठक सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई और दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति की व्यापक समीक्षा की. बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की अगली बैठक के लिए ठोस तैयारी करने हेतु मिलकर काम करने पर सहमति जतायी, जो इस वर्ष के अंत में भारत में आयोजित की जाएगी.’’

कैलाश-मानसरोवर यात्रा शुरू करने पर चर्चा

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘उन्होंने सीमा-पार सहयोग और आदान-प्रदान को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने पर भी विचार-विमर्श किया, जिसमें सीमा पार की नदियां और कैलाश-मानसरोवर यात्रा शामिल है.’’ भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता ने चीन के सहायक विदेश मंत्री होंग लेई से भी शिष्टाचार भेंट की. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दोनों देशों के बीच विदेश सचिव-उप विदेश मंत्री तंत्र की बैठक के लिए 26-27 जनवरी को बीजिंग का दौरा किया था. इसके बाद दोनों देशों ने 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने के अपने फैसले की घोषणा की थी.

विदेश मंत्रालय ने कहा, “द्विपक्षीय संबंधों के सुचारू विकास के लिए सीमा पर शांति और स्थिरता महत्वपूर्ण है. दोनों पक्षों ने दिसंबर 2024 में बीजिंग में भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 23वीं बैठक के दौरान लिये गए निर्णयों को प्रभावी बनाने और प्रभावी सीमा प्रबंधन को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों और प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया.’’

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