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India Power News: भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान गंभीर संकट में हैं, जबकि भारत की स्थिरता और लोकतांत्रिक जड़ें मजबूत हैं. पाकिस्तान में बलूचिस्तान और सिंध में अशांति है.

लगभग सभी पड़ोसी देश परेशानी से जूझ रहे हैं, लेकिन भारत लगातार प्रगति कर रहा है. (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
- भारत के पड़ोसी देश गंभीर संकट में हैं.
- भारत की स्थिरता और लोकतांत्रिक जड़ें मजबूत हैं.
- भारत की सफलता का श्रेय कुशल नेतृत्व को दिया जाता है.
नई दिल्ली. भारत के पड़ोस में इन दिनों हालात बेहद गंभीर है. श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान गहरे राजनीतिक और आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं. इनके बीच भारत की स्थिर और सुरक्षित स्थिति एक बार फिर साबित करती है कि देश में लोकतांत्रिक जड़े कितनी मजबूत हैं. जबकि इसके पड़ोसियों की बस एक ही कोशिश दिखती है कि चाहे नाममात्र की सही लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम रहे.
पाकिस्तान की हालत शायद सबसे खराब है. देश की अर्थव्यस्था लड़खड़ा रही है वहीं बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी आवाजें जोर पकड़ रही हैं. बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे चरमपंथी संगठन सीधे सरकार को चुनौती दे रहे हैं. देश के सबसे बड़े प्रांत में चीन ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है अगर इस प्रांत में हिंसा बढ़ती है तो बीजिंग अपने कदम खींच सकता है जो इस्लामाबाद के लिए सबसे बड़ा झटका होगा.
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में जनाक्रोश देखने को मिल रहा है. यहां पिछले कई दिनों से प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है. लोग सिंधु नदी पर बन रही है 6 नहर परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि ये नहरें सिंध को उसके पानी से हमेशा के लिए वंचित कर देगी. इन सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या देश अपनी अखंडता को सुरक्षित रख पाएगा.
अफगानिस्तान के साथ इस्लामाबाद के रिश्ते सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. पाक-अफगान बॉर्डर पर हालात तनावपूर्ण हैं. करीब 26 दिन तक बंद रहने के बाद तोरखम बॉर्डर क्रॉसिंग हाल ही में खुली है. हालांकि हालात बेहतर होते नहीं दिख रहे. सोमवार (24 मार्च) को पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने 16 अफगानिस्तानी घुसपैठियों का मार गिराया है. इस्लामाबाद की सबसे बड़ी चुनौती तहरीके-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के हमले जारी है. पाकिस्तान काबुल पर टीटीपी को संरक्षण देने का आरोप लगाता रहा है जबकि काबुल इससे इनकार करता रहा है.
फिलहाल भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बांग्लादेश के अस्थिर हालात है. पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सत्ता जाने के बाद से देश का लोकतांत्रिक ढांचा चरमरा गया है. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार लगभग हर मोर्च पर नाकाम हो रही है. अल्पसंख्यक समुदायों पर लगातार हमले हो रहे हैं, देश में कट्टरपंथी ताकतें मजबूत हो रही हैं, महिला और बच्चों के खिलाफ खिलाफ अपराधों पर यूएन समते कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं चिंता जता चुकी हैं.
श्रीलंका को पिछले कुछ वर्षों में गंभीर आर्थिक संकट, भारी ऋण, भुगतान संतुलन का संकट, आवश्यक वस्तुओं की कमी, राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा है. देश अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से उबरने की कोशिश कर रहा है लेकिन ऐसा लगता है कि उसकी चुनौतियां कम नहीं हो रही हैं. चीन का साथ उसे रास नहीं आ रहा है. वहीं चीन को भी श्रीलंका की मदद भारी पड़ती दिख रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रीलंका के एक्सटर्नल लोन रिस्ट्रक्चरिंग (बाह्य ऋण पुनर्गठन) से चीन को लगभग 7 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है. श्रीलंकाई वायुसेना का चीन निर्मित एक और प्रशिक्षण विमान शुक्रवार को क्रैश हो गया. वारियापोला क्षेत्र में चीन निर्मित के-8 प्रशिक्षण विमान क्रैश हो जाने के बाद सेवा में अन्य विमानों की सुरक्षा और संचालन तैयारी को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो गई है.
इन सब के बीच यदि हम भारत पर नजर डालें तो आंतरिक शांति, सुरक्षित सीमाएं, आर्थिक मोर्च में पर लगातार मिलती सफलता, लोकतांत्रिक प्रक्रिया, संवैधानिक संस्थाओं का मजबूत होना, वैश्विक नेतृत्व और स्वतंत्र विदेश नीति इसकी सफलता की कहानी कहती हैं. इन सब के बीच एक दूरदर्शी और मजबूत नेतृत्व भारत की सफलता का गारंटी बनकर उभरा है. अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लगभग सभी जानकार और दुनिया के बड़े नेताओं ने भी माना है कि भारत की कामयाबी का सिलसिला आने वारे वर्षों में और बढ़ता जाएगा. वे इसका श्रेय यहां के लोगों और कुशल नेतृत्व को देते हैं.