Last Updated:

Turkey President Recep Tayyip Erdogan: भारत ने तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन के कश्मीर पर बयान को अस्वीकार्य बताया और तुर्की के राजदूत के साथ कड़ा विरोध दर्ज कराया. विदेश मंत्रालय ने कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का …और पढ़ें

2 साल तक थे मौन फिर एर्दोगन को उकसाया कौन? PAK को खुश करने गए थे पर खा गए डांट

तुर्की राष्ट्रपति के कश्मीर बयान पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

हाइलाइट्स

  • तुर्की राष्ट्रपति के कश्मीर बयान पर भारत का कड़ा विरोध.
  • भारत ने तुर्की के राजदूत के साथ कड़ा विरोध दर्ज कराया.
  • जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है.

नई दिल्ली: कुछ लोग ही नहीं, देश भी एहसान फरामोश होते हैं. बांग्लादेश से लेकर तुर्की तक…फेहरिस्त लंबी है. आज केवल बात तुर्की की. जब 2023 में तुर्की में भूकंप से तबाही मची, तब भारत ने साथ दिया. उसके दुख में एक अच्छे दोस्त की तरह साथ निभाया. दवा राहत सामग्री से लेकर एनडीआरएफ टीम भेजकर मदद की. तुर्की को एहसान मानना चाहिए था. पर उसने वही किया, जो अब तक करते आया है. पाकिस्तान का साथ. कश्मीर पर जहर. जी हां, एक बार फिर से तुर्की ने कश्मीर पर जहर उगला है. वह भी पाकिस्तान की सरजमीं पर. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगन ने अपने पाकिस्तान दौरे पर कश्मीर मसले का जिक्र किया. इसके बाद होना क्या था. भारत ने भी अच्छे से रगड़ दिया.

जी हां, भारत ने शुक्रवार को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई और उसे सिरे से खारिज कर दिया. तुर्की के खलीफा एर्दोगन ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार सुलझाया जाना चाहिए. यह सब उन्होंने पाकिस्तान में शहबाज शरीफ के सामने कहा. जैसे ही भारत को यह बात पता चली. उसने अच्छे से रगड़ दिया. भारत ने कहा कि उसने तुर्की के राजदूत के पास इस आपत्तिजनक टिप्पणी पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है.

भारत ने करारा जवाब दिया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एर्दोगन की टिप्पणी को अस्वीकार्य करार देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने वीकली प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘हम भारत के लिए अत्यंत अहम मामलों पर की गईं ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणियों को खारिज करते हैं. हमने तुर्की के राजदूत के पास कड़ा विरोध दर्ज कराया है. भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर इस तरह के अनुचित बयान अस्वीकार्य हैं. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है.’

2 साल बाद तुर्की ने क्यों उगला जहर
एर्दोगन की टिप्पणी के एक हफ्ते बाद विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया आई है. एर्दोगन ने यह टिप्पणी अपनी इस्लामाबाद यात्रा के दौरान की थी, जहां उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की थी. एर्दोगन ने लगभग दो साल तक कश्मीर मुद्दे पर चुप्पी बनाए रखी थी. इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा जैसे मंचों पर अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों में इस मामले का जिक्र नहीं किया था. जबकि उससे पहले तुर्की कश्मीर पर जहर उगलने को लेकर ही कुख्यात था.

एर्दोगन ने कश्मीर पर क्या कहा था?
13 फरवरी को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन पाकिस्तान की यात्रा पर थे. उन्होंने कहा था कि कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. एर्दोगन ने कहा था, ‘कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार, बातचीत के जरिए और कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए सुलझाया जाना चाहिए. हमारा राज्य और हमारा राष्ट्र अतीत की तरह आज भी अपने कश्मीरी भाइयों के साथ एकजुटता से खड़ा है.’ जब वह कश्मीर मसले का जिक्र कर रहे थे, तब उनके साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे. दिलचस्प है कि दो साल बाद एर्दोगन ने कश्मीर का कहीं जिक्र किया है.

एर्दोगन को भारत की नसीहत
एर्दोगन के बयान पर करारा जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि एर्दोगन को भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने के बजाय, भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने की पाकिस्तान की नीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था. बागची ने कहा, ‘किसी दूसरे देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने के बजाय बेहतर होता कि भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल करने की पाकिस्तान की नीति की निंदा की जाती, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा है.’

homenation

2 साल तक थे मौन फिर एर्दोगन को उकसाया कौन? PAK को खुश करने गए थे पर खा गए डांट

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *