टोक्यो: जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के विदेश मंत्रियों ने टोक्यो में ऐतिहासिक बैठक की है। इस बैठक में तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने वैश्विक अनिश्चितता के बीच पूर्वी एशियाई सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर साझा आधार तलाशने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की है। यह बैठक तब हुई है, जब अमेरिका ने एशिया के इन तीन दिग्गज देशों के खिलाफ टैरिफ वार छेड़ा हुआ है। ऐसे में चीन के साथ जापान और दक्षिण कोरिया की इस दोस्ती को अमेरिका के लिए टेंशन की बात माना जा रहा है। ऐतिहासिक रूप से जापान और दक्षिण कोरिया के चीन के साथ संबंध अच्छे नहीं हैं। इसके बावजूद वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए तीनों देश हाथ मिलाने का मन बना रहे हैं।

जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया ने टोक्यो में चीनी विदेश मंत्री वांग यी और दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्री चो ताए-युल के साथ बैठक की शुरुआत में कहा, “बढ़ती गंभीर अंतरराष्ट्रीय स्थिति को देखते हुए, मेरा मानना है कि हम वास्तव में इतिहास के महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं।” इवाया ने बैठक के बाद एक संयुक्त घोषणा में कहा कि तीनों ने जापान में एक त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन की तैयारियों में तेजी लाने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें टोक्यो, बीजिंग और सियोल घटती जन्म दर और बूढ़ी होती आबादी से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा होगी।

अमेरिका के लिए बड़ा झटका क्यों

2023 के बाद से देशों के विदेश मंत्रियों की यह पहली बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दशकों पुराने गठबंधनों को खत्म कर रहे हैं, जिससे चीन के लिए पारंपरिक रूप से वाशिंगटन के साथ जुड़े देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने का द्वार खुल सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह एशिया में अमेरिका के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका होगा। इससे चीन के खिलाफ अमेरिका की सबसे बड़ी कूटनीतिक हार भी माना जाएगा और ट्रंप प्रशासन को इसका परिणाम भी भुगतना होगा।

बैठक में चीनी विदेश मंत्री ने क्या कहा

इस बैठक में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, “हमारे तीनों देशों की संयुक्त जनसंख्या लगभग 1.6 बिलियन है और इनका आर्थिक उत्पादन 24 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। हमारे विशाल बाजारों और महान संभावनाओं के साथ, हम महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।” उन्होंने कहा कि चीन अपने पड़ोसियों के साथ मुक्त व्यापार वार्ता फिर से शुरू करना चाहता है और 15 देशों की क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी की सदस्यता का विस्तार करना चाहता है।

मतभेद के बावजूद एकजुट हुए तीनो देश

हालांकि, इन तीनों देशों में गहरे मतभेद बने हुए हैं। बीजिंग कई प्रमुख मुद्दों पर टोक्यो और सियोल के साथ असहमत है, जिसमें उत्तर कोरिया का समर्थन, ताइवान के आसपास उसकी सैन्य गतिविधि को तेज करना और यूक्रेन के साथ युद्ध में रूस का समर्थन करना शामिल है। अमेरिका के सहयोगी जापान और दक्षिण कोरिया, जिनमें से प्रत्येक देश में हजारों अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। ये दोनों देश अमेरिका के इस दृष्टिकोण से सहमत हैं कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश चीन क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा है।

दक्षिण कोरिया ने जापान-उत्तर कोरिया का मुद्दा उठाया

दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्री चो ताए-युल ने कहा कि उन्होंने बैठक में चीन से उत्तर कोरिया को अपने परमाणु हथियार छोड़ने के लिए राजी करने में मदद करने के लिए कहा था। उन्होंने कहा, “मैंने इस बात पर भी जोर दिया कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच अवैध सैन्य सहयोग तुरंत बंद होना चाहिए, और यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के दौरान उत्तर कोरिया को उसके गलत कामों के लिए पुरस्कृत नहीं किया जाना चाहिए।”

जापान कर रहा बैठक की अगुवाई

इवाया अपने चीनी और दक्षिण कोरियाई समकक्षों के साथ अलग-अलग मुलाकात करेंगे, जिसमें छह वर्षों में बीजिंग के साथ पहली उच्च स्तरीय आर्थिक वार्ता भी शामिल है। इवाया ने इस सप्ताह कहा कि उस बैठक में 2023 से नष्ट हो चुके फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से अपशिष्ट जल निकलने के बाद चीन द्वारा जापानी समुद्री खाद्य आयात पर लगाए गए प्रतिबंध पर चर्चा शामिल होगी।

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