पुलिस इंस्पेक्टर अरुण देवकर ने बताया कि शिंदे ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा था कि महिला मंत्री को ब्लैकमेल कर रही है। पुलिस ने दो गवाहों की मदद से 1 करोड़ रुपये का इंतजाम किया। यह पैसा 10-10 लाख रुपये की 10 गड्डियों में था। इंस्पेक्टर देवकर ने बताया कि शिंदे ने महिला को अपने वकील के ऑफिस में बुलाया। जैसे ही महिला ने पैसे लिए, हमने उसे गिरफ्तार कर लिया। हमने सतारा शहर के पुलिस स्टेशन में आरोपी महिला के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। उसे शनिवार यानि सतारा की अदालत में पेश किया जाएगा। हमारे पास पुलिस हिरासत मांगने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
2016 में भी लगाए थे आऱोप
बता दें कि 2016 में भी इस महिला ने गोरे पर यौन उत्पीड़न, हमला, पीछा करने और अश्लील सामग्री भेजने का आरोप लगाया था। हाल ही में, एक ऑनलाइन वीडियो-शेयरिंग प्लेटफॉर्म पर एक इंटरव्यू में महिला ने आरोप लगाया कि गोरे उसकी छवि खराब कर रहे हैं। उसने कहा कि वह 2016 के मामले के बारे में सार्वजनिक रूप से बात कर रही है। गोरे ने इन आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी थी और अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था। गोरे ने आरोप लगाया था कि खरात ने बदनाम करने का अभियान रोकने के लिए 5 करोड़ रुपये मांगे थे। इस साल 10 मार्च को सतारा पुलिस ने पत्रकार तुषार खरात को गिरफ्तार किया था। पुलिस हिरासत खत्म होने के बाद, खरात को वाडज कोर्ट ने 26 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था
विधानसभा में हुआ था हंगामा
वहीं महिला के आरोपों से विधानसभा में हंगामा मच गया था। विपक्ष ने मंत्री के इस्तीफे की मांग की थी। महिला की गिरफ्तारी के बाद, विपक्ष ने 1 करोड़ रुपये के भुगतान और नकदी के स्रोत पर सवाल उठाए हैं। रोहित पवार ने कहा किमहिला के पास ऐसा क्या था कि गोरे उसे 1 करोड़ रुपये देने को तैयार हो गए? महिला और गोरे के बीच एक समझौता हुआ था कि अगर गोरे उसे परेशान करना बंद कर देंगे, तो वह उन्हें छोड़ देगी।
सुप्रिया सुले ने उठाए सवाल
वहीं सुप्रिया सुले ने कहा कि नोटबंदी के बाद, किसी व्यक्ति के पास 1 करोड़ रुपये नकद कैसे हो सकते हैं? यह एक डबल-इंजन सरकार थी जिसने नोटबंदी की शुरुआत की। सवाल उठता है कि क्या महिला ने पैसे मांगे थे या जानबूझकर उसे दिए गए थे। ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों को 1 करोड़ रुपये नकद के स्रोत की जांच करनी चाहिए।