वॉशिंगटन: भारतीय मूल के अमेरिकी काश पटेल आधिकारिक तौर पर संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के नौवें निदेशक बन गए हैं। शुक्रवार को वॉशिंगटन डीसी में उन्होंने भगवद गीता पर हाथ रखकर शपथ ली। अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी ने उन्हें पद की शपथ दिलाई है। वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के इंडियन ट्रीटी रूम में हुए समारोह में शपथ लेने के बाद पटेल ने अमेरिका की तारीफ करते हुए कहा कि किसी और देश में शायद ही कभी उनका ये सपना सच हो सकता था। गुजरात के आनंद जिले के लोगों ने भी पटेल को याद किया है, जहां से उनका परिवार विदेश जाकर बसा था।अमेरिका की सर्वोच्च संघीय जांच एजेंसी FBI प्रमुख का पदभार संभालने के बाद पटेल ने कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है। पटेल ने कहा, ‘मैं अमेरिकी सपने को जी रहा हूं। जो कोई भी सोचता है कि अमेरिकी सपना मर चुका है, वो मुझे देखे। आप पहली पीढ़ी के भारतीय से बात कर रहे हैं जो दुनिया के महान राष्ट्र की कानून प्रवर्तन एजेंसी का नेतृत्व करने वाला है। ऐसा कहीं और नहीं हो सकता। मैं वादा करता हूं कि एफबआई के भीतर और बाहर जवाबदेही होगी।’

ट्रंप ने की पटेल की तारीफ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पटेल की तारीफ करते हुए कहा कि वह एफबीआई के सर्वश्रेष्ठ डायरेक्टर साबित होंगे। ट्रम्प ने कहा, ‘कश पटेल को इस पद पर नियुक्त करने का एक कारण यह है कि एफबीआई एजेंट उनका सम्मान करते हैं। वह इस पद पर सर्वश्रेष्ठ साबित होंगे। वह एक सख्त और बेहद मजबूत व्यक्ति हैं।’

काश पटेल की एफबीआई डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति को गुरुवार को अमेरिकी सीनेट ने मंजूरी दी थी। हालांकि उनके नाम का डेमोक्रेटेस के साथ-साथ दो रिपब्लिकन सीनेटरों लिसा मुरकोव्स्की और सुसान कॉलिन्स ने भी विरोध किया। इसके बावजूद पटेल की नियुक्ति को 49 के मुकाबले 51 वोटों से मंजूरी मिल गई।

गुजरात में हैं काश पटेल के परिवार की जड़े

काश पटेल न्यूयॉर्क के रहने वाले हैं और उनको डोनाल्ड ट्रंप के करीबी लोगों में गिना जाता है। काश पटेल के माता-पिता का संबंध भारत के गुजरात से है। काश पटेल की जड़ें गुजरात के आनंद जिले के भद्रन गांव से जुड़ी हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के पाटीदार समुदाय के नेताओं ने बताया है कि पटेल का परिवार भद्रन गांव के मोती खड़की इलाके में रहता था और करीब 70 साल पहले युगांडा चला गया था। उन्होंने भद्रन में अपने पुश्तैनी मकान बेच दिए थे। पटेल के परिवार के सभी लोग अब विदेश में हैं।

स्थानीय राजेश पटेल ने बताया कि 1970 में अफ्रीकी देश युगांडा से निकाले जाने के बाद काश का परिवार कुछ समय के लिए भारत लौटा था। युगांडा से निकाले गए वे भारतीय कुछ समय के लिए भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा में शरण के लिए आवेदन किया था। काश पटेल का परिवार भी आया था और आवेदन स्वीकार होने के बाद कनाडा चला गया था। कनाडा से वे अमेरिका गए, जहां 1980 में काश पटेल का जन्म हुआ।

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