मुंगेर: राजनीति में अवसरवादिता एक फेज के साथ स्वतः आ जाता है। खासकर गठबंधन की राजनीति में ये अक्सर देखने को मिलता है। समय-समय पर ये चेहरे बदलते रहे हैं। आज केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हैं। वजह बनी राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद उनका संबोधन। जहां उन्होंने कांग्रेस को संविधान विरोधी और पीएम नरेंद्र मोदी को संविधान का सम्मान करने वाला बताया। दरअसल, कल सदन में दिए गए वक्तव्य और इंडिया गठबंधन बनाने के दौरान राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के बयान के बरक्स आज काफी चर्चा में हैं। खासकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर की गई टिप्पणी को लेकर, मगर इस समर्थन और विरोध की पाली खेलने में भी तथ्य जुटाने और छुपाने पड़ते हैं। यह गठबंधन धर्म की अनकही शर्त भी होती है। जानते हैं दोनों वक्तव्यों को कब और क्या कहा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने ….।

असली संविधान विरोधी कांग्रेस: राजीव रंजन

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव के पक्ष में अपनी बात रखते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह कांग्रेस पर जमकर बरसे। कहा कि ये नरेंद्र मोदी हैं जो संविधान का सम्मान करते हैं। वह संविधान विरोधी नहीं हैं। कांग्रेस को तो संविधान की प्रति लेकर आने का कोई अधिकार नहीं।

कांग्रेस असली संविधान विरोधी है। आपातकाल से लेकर अब तक कई बार भारतीय संविधान पर कांग्रेस ने प्रहार किया। लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष के नेता संविधान की प्रति लेकर घूम रहे थे। आज भी सदन में इसकी प्रति लेकर आ रहे हैं। कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी के बारे में दुष्प्रचार किया कि मोदी सत्ता में आए तो संविधान समाप्त हो जाएगा, लेकिन देश की जनता ने उनकी बातों पर भरोसा नहीं किया। नरेन्द्र मोदी को लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत दिया।

अपरोक्ष रूप से राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस पार्टी ने इस देश के संविधान को कलंकित किया है, वह आज संविधान बचाने का दावा कर रहा है। देश तेजी से विकास कर रहा है। हम दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन गए हैं। यह उपलब्धि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हासिल हुई है।

मोदी को भी नही छोड़ा

राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति को लेकर बड़ी बात कह दी। अति पिछड़ों को साधते हुए एक संबोधन में ललन सिंह ने कहा कि कई राज्यों में तो अति पिछड़ा वर्ग है ही नहीं। जो देश के प्रधानमंत्री हैं वह भी कई बार अति पिछड़ा बन जाते हैं। गुजरात में तो अति पिछड़ा वर्ग है ही नहीं, गुजरात में पिछड़ा वर्ग है। जिस समाज में जिस जाति में वह पैदा लिए उस समय वह पिछड़ा वर्ग नहीं था। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब उस जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया।

प्रधानमंत्री देश नहीं चला रहे, बल्कि ड्रामा कर रहे हैं। बार-बार यह कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी बचपन में रेलवे स्टेशनों पर चाय बेचते थे, तो कोई यह भी तो बताये कि वह किस स्टेशन पर चाय बेचते थे। आज तक वह कभी नहीं बोले कि किस स्टेशन पर चाय बेचते थे।

सदन में 20 सितंबर को ललन सिंह ने केंद्र सरकार की ओर से लाए महिला आरक्षण बिल का समर्थन तो किया पर पीएम नरेंद्र मोदी को कठघरा में खड़ा करने से भी नहीं चुके। कहा कि पीएम मोदी इंडिया गठबंधन के बनने का बाद पैनिक हो गए है। इसलिए जिस तरह से 2014 में युवाओं को नौकरी के नाम पर ठगा, गरीबों को खाते में 15 लाख रुपये डालने के नाम पर था। इस बार 2024 लोकसभा चुनाव के पूर्व महिलाओं को तो ठगने का है। महिलाओं को लोकसभा,विधान सभा में महिलाओं को आरक्षण देना इनका मकसद नहीं है।

अमित शाह पर ललन के बिगड़े बोल

ललन सिंह ने कहा कि पूर्णिया में हवाई अड्डा कब बन गया। आप ही हमें बताए के ऐसा कब हुआ। अमित शाह से कहा कि कम से कम अब तो बिहार के लोगों को ठगना बंद कर दीजिए। सोचिए जिस देश का गृहमंत्री ही जुमलेबाज हो, उस देश का भविष्य क्या होगा? अब तो भाजपा मुक्त देश ही एक मात्र विकल्प है।

ललन सिंह ने कहा कि अमित शाह चाहे तो 2024 लोकसभा चुनाव तक अपना आवास राजभवन में ही रख लें। परिणाम उन्हें 2015 वाला ही मिलेगा। 2024 में भाजपा मुक्त भारत होगा। बिहार से बड़का झुट्ठा पार्टी को शून्य ही मिलेगा। गृह मंत्री को संबोधित अपने दूसरे ट्वीट मे ललन सिंह ने कहा कि जुमलों और झूठे वादे के कारण भाजपा ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है।

4 अगस्त 2023 को सदन में ललन सिंह ने कहा कि सत्ता पक्ष को इंडिया गठबंधन का फोबिया समा गया है। सत्ता पक्ष लोक लाज को ताक पर रख दिया है। दिल्ली की लोकतांत्रिक सरकार का गला दबाना चाहती है। बैक डोर से दिल्ली पर शासन करना चाहते हैं अमित शाह।

गठबंधन धर्म के साथ ललन सिंह

यह असर गठबंधन धर्म के कारण होता है। अभी वो एनडीए के साथ में हैं तो कांग्रेस का क्रिटिसाइज करना बनता है। और यही वजह भी थी कि एनडीए में आते और सरकार में शामिल होते ही कांग्रेस पर आक्रामक हुए। यह गठबंधन की मांग भी है।

पर जब इंडिया गठबंधन के सूत्रधार थे नीतीश कुमार तब ललन सिंह की दूसरी भूमिका थी। तब उनके हमले के कोण हमेशा पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हुआ करते। तब उन पर यह आरोप भी लगे कि पीएम नरेंद्र मोदी पर कुछ ज्यादा ही कड़ा बयान दे डाले। लेकिन जब देश की राजनीति का सूरतेहाल बदला और जदयू एनडीए के गठबंधन में शामिल हुआ तो ललन सिंह को अपने बोल बदलने पड़े। अवसरवादिता की राजनीति का रंग ऐसा ही होता है। यह कोई अकेले का रंग नहीं। जब भी जिस नेता ने करवट बदली बोल बदलना ही पड़ता है।

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