Nepal China Relations: पड़ोसी देश नेपाल को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है. इसके पीछे चीन के साथ उसकी नजदीकी और उसके पैसे का दुरुपयोग करना, एक वजह बताई जा रही है. इसके अलावा नेपाल एफएटीएफ के सवालों का कोई संतोषजनक जवाब भी नहीं दे पाया.

न्यूज18 की रिपोर्ट में टॉप इंटेलिजेंस सोर्स के हवाले से बताया गया, ‘यह नेपाल के चीन की ओर झुकाव को रोकने के लिए पश्चिम की ओर से उठाया गया कदम हो सकता है. पश्चिम समझता है कि नेपाल चीन का उपनिवेश बन रहा है. कई अज्ञात कंपनियां और संस्थाएं हैं जो नेपाल से अज्ञात जगहों पर पैसे भेज रही हैं.” सूत्रों ने ये भी कहा, “पश्चिमी देश इस बात से परेशान हैं कि उग्रवाद के दौरान पीड़ित लोगों का विपक्षी नेता प्रचंड के दबाव की वजह से पुनर्वास नहीं किया जा सका है.’

नेपाल को ग्रे लिस्ट में क्यों डाला गया?

सूत्रों के अनुसार, ग्रे लिस्ट में गड़बड़ी के लिए दो चीजें जिम्मेदार हो सकती हैं पहली, अवैध फंडिंग और दूसरी, माओवादी विद्रोह. उन्होंने कहा, ‘चीन नेपाल को लोन और ग्रांट दे रहा है. लोन तो वापस देना होता है लेकिन ग्रांट वापस नहीं देनी होती है. यही वजह है के नेपाल के नेता अपनी मर्जी से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. पश्चिमी देशों को डर है कि ग्रांट के बाद शायद नेपाल के लोग चीन के खिलाफ न जाएं, यही बढ़ते दवाब की वजह है.’

जबकि अमेरिका और चीन दोनों नेपाल में अपनी मजबूत पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं, चीनी निवेश काफी ज्यादा है. सूत्रों ने कहा, ‘यूएसएआईडी को पहले ही रोक दिया गया है और इसके बाद आईएमएफ सख्त हो जाएगा.’

भारत को कमजोर करने के लिए चीन चल रहा चाल

चीन का विस्तारवाद सभी के लिए चिंता का विषय है. नेपाल में चीन की बढ़ती सक्रियता को भारत के क्षेत्रीय प्रभुत्व को कमजोर करने की उसकी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. पहले चीन से भागकर आए तिब्बती शरणार्थी नेपाल में एंट्री करते थे और नेपाल जांच-पड़ताल के बाद भारत को सौंप देता था लेकिन अब उन्हें वापस चीन भेज दिया जाता है, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है. पिछले साल केवल एक शरणार्थी ही भारत में प्रवेश कर सका था.

चीन नेपाल को अपने अशांत तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानता है. काठमांडू के साथ मजबूत संबंध बीजिंग को तिब्बती निर्वासितों पर नजर रखने और गतिविधियों को दबाने में मदद करते हैं. सूत्रों ने बताया कि नेपाल अपने बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने और भारत से अलग साझेदारी में विविधता लाने के लिए भी चीनी निवेश चाहता है.

दूसरी बार ग्रे लिस्ट में डाला गया नेपाल

यह दूसरी बार है जब नेपाल को ग्रे लिस्ट में रखा गया है. इससे पहले नेपाल 2008 से 2014 तक FATF की ग्रे लिस्ट में था. इसमें ऐसे देश शामिल हैं जिनके पास धन शोधन निरोधक (एएमएल) और आतंकवाद निरोधक (सीएफटी) व्यवस्था में रणनीतिक कमियां हैं. FATF की स्थापना जुलाई 1989 में पेरिस में G-7 शिखर सम्मेलन की ओर से की गई थी, जिसका उद्देश्य शुरू में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के उपायों की जांच करना था. अमेरिका में 9/11 के हमलों के बाद FATF ने अक्टूबर 2001 में टेरर फंडिंग से निपटने के लिए अधिकार क्षेत्रा का विस्तार किया गया.

ग्रे लिस्ट में पड़ने पर क्या होता है?

अगर किसी देश को ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है तो उसको अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय संगठनों से लोन लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाला जाना एक चेतावनी होती है और सुधार न करने पर उन्हें इससे भी आगे ‘एफएटीएफ ब्लैक लिस्ट’ में डाल दिया जाता है.

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