NSE IPO: देश के सबसे स्टॉक एक्सचेंज एनएसई के आईपीओ को शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी से जल्द हरी झंडी मिल सकती है. सेबी चीफ तुहिन कांत पांडे ने कहा है कि एनएसई के आईपीओ में हो रही देरी के कारणों की वो पड़ताल करेंगे. साल 2016 में ही एनएसई ने आईपीओ लाने के लिए रेगुलेटर के पास ड्रॉफ्ट पेपर फाइल किया था. 

तुहिन कांत पांडे की अध्यक्षता में हुई सेबी की पहली बोर्ड मीटिंग के बाद जब मीडिया से वे मुखातिब हुए तो उनसे एनएसई के आईपीओ में देरी को लेकर सवाल पूछा गया. उन्होंने कहा, हम जरूर इस मामले को देखेंगे और जो मुद्दे हैं ये कोशिश करेंगे कि कैसे अड़चने दूर हो. मार्केट शेयर के लिहाज से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है जो बीते आठ सालों से अपने आईपीओ के आने की राह देख रहा है. 

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आईपीओ और उसके शेयरों की लिस्टिंग का इंतजार लंबा होता जा रहा है. निवेशक सालों से उसका इंतजार कर रहे हैं. बीते साल सेबी ने एक मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि एनएसई ने अपनी लिस्टिंग को लेकर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी की कोई फ्रेश डिमांड नहीं की है. सेबी ने साथ ही साफ किया कि आईपीओ की प्रक्रिया में देरी की वजह के लिए खुद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ही जिम्मेदार है. दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें सेबी को जल्द एनएसई के आईपीओ को मंजूरी देने की मांग की गई थी. 
 
एनएसई अपने प्रस्तावित आईपीओ और बाजार पर शेयरों की लिस्टिंग को लेकर सालों पहले सेबी से मंजूरी भी पा चुका था. एनएसई ने 2016 में ही इसे लेकर सेबी के पास अप्लिकेशन फाइल किया था, जिसे नियामक से मंजूरी मिल गई थी, लेकिन बाद में ड्राफ्ट लौटा दिया गया था. को-लोकेशन फैसिलिटीज को लेकर मामला सामने आने के बाद सेबी ने 2019 में एनएसई के ड्राफ्ट को लौटा दिया था और उसे को-लोकेशन फैसिलिटीज मामले की जांच पूरी होने के बाद नए सिरे से आईपीओ का ड्राफ्ट फाइल करने के लिए कहा था.  अगस्त 2024 में एनएसई ने अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के लिए सेबी के पास अप्लाई किया था जो अभी भी मंजूरी मिलने के इंतजार में है. 

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