पहला ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे
यह एक्सप्रेस-वे राज्य का पहला ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे होगा। इसके लिए 3381.2 हेक्टेयर जमीन ली जाएगी। सरकार जमीन के बदले किसानों को पैसे देगी। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। दरभंगा, सहरसा, समस्तीपुर और मधेपुरा जिले बाढ़ से बहुत परेशान रहते हैं। इन जिलों के 15 प्रखंडों को इस एक्सप्रेस-वे से काफी फायदा होगा। एक्सप्रेस-वे बनने से इन गांवों के लोगों को आने-जाने में आसानी होगी।
इन नदियों से गुजरेगा एक्सप्रेस-वे
यह एक्सप्रेस-वे गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, दुधौली, दुधौलीधार, कोसी, जिरवा और कोसीधार जैसी नदियों के ऊपर से गुजरेगा। इन नदियों पर पुल बनाए जाएंगे। इससे बाढ़ से बचाव में मदद मिलेगी। साथ ही, हर मौसम में लोग आसानी से सड़क मार्ग से आ-जा सकेंगे। किसान अपनी फसलें दूसरे शहरों की मंडियों में आसानी से ले जा सकेंगे।
120 की रफ्तार से चलेंगी गाड़ियां
पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे से 11 नेशनल हाइवे (NH) और 10 स्टेट हाइवे (SH) भी जुड़ेंगे। इससे ट्रैफिक और भी आसान हो जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे पर गाड़ियां 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगी। इससे कम समय में ज्यादा दूरी तय की जा सकेगी। इसकी लंबाई 281.95 किमी होगी। यह वैशाली के मीरनगर से शुरू होकर समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा और मधेपुरा जिलों से होते हुए पूर्णिया के चंद भठ्ठी तक पहुंचेगा। छह लेन वाले इस एक्सप्रेस-वे पर लगभग 18 हजार 42 करोड़ 14 लाख रुपये खर्च होंगे। इस प्रोजेक्ट में 21 बड़े पुल, 140 छोटे पुल, 11 रेलवे ओवरब्रिज, 21 इंटरचेंज और 322 अंडरपास बनाए जाएंगे।
तीन घंटे में पूर्णिया से पटना
एक्सप्रेस-वे बनने के बाद पटना से पूर्णिया तक का सफर सिर्फ 3 घंटे में पूरा हो जाएगा। अभी इस दूरी को तय करने में 7-8 घंटे लगते हैं। इसके अलावा, समस्तीपुर, सहरसा और मधेपुरा को इस एक्सप्रेस-वे से जोड़ने के लिए अलग से सड़कें बनाई जाएंगी। इससे इन जिलों की कनेक्टिविटी और बेहतर होगी। पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे का निर्माण हरित मार्गरेखन पर आधारित होगा। इसका मतलब है कि इसे बनाते समय पर्यावरण का भी ध्यान रखा जाएगा। इस परियोजना से बिहार में अच्छी क्वालिटी की सड़कें बनेंगी. साथ ही, व्यापार, पर्यटन और उद्योग भी बढ़ेंगे।