श्रीनगर: विदेश मंत्री एस जयशंकर के पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) पर दिए गए बयान पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से सवाल किया है। उन्होंने पूछा है कि आखिर पीओके को वापस लेने से किसने रोका है? लंदन में एक कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने एक पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि कश्मीर मुद्दा तभी सुलझेगा जब कश्मीर का चोरी हुआ हिस्सा, जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है वापस आ जाएगा। गुरुवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उमर अब्दुल्ला ने पूछा कि आपको पीओके वापस लेने से किसने रोका? उन्होंने आगे कहा कि चलिए, एक हिस्सा पाकिस्तान के पास है। हमने कभी कहा कि मत लाओ? उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर आप वापस ले सकते हैं, तो ले लीजिए।

उमर अब्दुल्ला ने कारगिल युद्ध का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस समय पीओके वापस लिया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब्दुल्ला ने सवाल किया कि ठीक है, तब नहीं हो सका, लेकिन अगर आज आप इसे वापस ले सकते हैं, तो हम में से कौन कहेगा कि इसे वापस मत लो? उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कश्मीर का एक हिस्सा चीन के पास भी है। उन्होंने कहा कि कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है, तो एक हिस्सा चीन के पास भी है। उस हिस्से का जिक्र क्यों नहीं होता? उमर अब्दुल्ला ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि जब आप पीओके वापस लेंगे, तो कृपया करके चीन के कब्जे वाले कश्मीर को भी वापस लेने का काम करें।

बीजेपी पर आरोप लगाया
विधानसभा में उपराज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का समापन करते हुए अब्दुल्ला ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि उन्होंने अंतिम डोगरा शासक, महाराजा हरि सिंह की विरासत को नष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने उनके पूर्व राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करके और स्थानीय लोगों को भूमि और रोजगार पर सुरक्षा देने वाले कानूनों को रद्द करके ऐसा किया है। भाजपा से पूछते हुए कि 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद क्या सुधार हुआ, मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे न तो आतंकवाद खत्म हुआ और न ही भ्रष्टाचार।

‘न आतंकवाद कम हुआ, न भ्रष्टाचार’उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू और रियासी जैसे क्षेत्रों में आतंकवादी हमलों की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिन्हें 2019 से बहुत पहले आतंकवाद मुक्त बना दिया गया था। अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या बदलाव आया है, यह समझना मुश्किल है। न आतंकवाद कम हुआ, न भ्रष्टाचार। उल्टा, उन इलाकों में भी आतंकी हमले हो रहे हैं, जो पहले शांत थे। ऐसे में, सरकार को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए।

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