मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के एक सर्कुलर के बाद भारतीय ब्रोकरेज फर्मों के शेयरों में तगड़ी गिरावट देखने को मिली है. SEBI के इस सर्कुलर का सबसे ज्यादा असर एंजेल वन (Angle One) के स्टॉक पर हुआ.  

दरअसल, सोमवार की शाम सेबी का ये सर्कुलर सामने आया था, जिसका असर आज बाजार खुलते ही दिखा. कारोबार के दौरान एंजेल वन का शेयर 10 फीसदी से ज्यादा टूट गया. सेबी ने अपने सर्कुलर में स्टॉक एक्सचेंजों सहित सभी मार्केट इंस्टीट्यूशन को ब्रोकिंग फर्मों पर एक समान फीस लगाने को कहा, जो वॉल्यूम पर आधारित न हो. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस फैसले से एंजेल वन जैसे ब्रोकरेज फर्म की कमाई घट सकती है. 

सेबी से फैसले से गिरावट
  
एंजेल वन (Angle One) के अलावा IIFL सिक्योरिटीज, 5पैसा कैपिटल (5Paisa Capital), SMC ग्लोबल, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज और जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज जैसी ब्रोकिंग कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट देखी कई. हालांकि मंगलवार को शेयर बाजार में थोड़ा दबाव देखने को मिला. मुनाफावसूली की वजह से कई सेक्टर्स रेड जोन में बंद हुआ. बैंकिंग शेयर में भी अच्छा-खासा दबाव में है. 

बता दें, सेबी के सर्कुलर के बाद मंगलवार को एंजल वन का 9 फीसदी की तगड़ी गिरावट के साथ 2,359.75 रुपये पर खुला. कारोबार के दौरान शेयर 10.50 प्रतिशत तक गिरकर 2,312 रुपये के स्तर तक पहुंच गया. कारोबार के अंत में शेयर 8.59 फीसदी गिरकर 2357 रुपये पर बंद हुआ. वहीं 5Paisa Capital Ltd के शेयर में करीब 2 फीसदी की गिरावट देखी गई. 

ट्रांजैक्शन चार्जेज में पारदर्शिता को लेकर फैसला

SEBI ने अपने सर्कुलर में कहा है कि स्टॉक एक्सचेंजों और क्लियरिंग कॉरपोरेशंस जैसे मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (MIIs) को टर्नओवर के आधार पर ब्रोकिंग फर्मों को डिस्काउंट नहीं देना चाहिए. फिलहाल स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन जैसे मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (MIIs), एक स्लैब स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते ब्रोकर्स से ट्रांजैक्शन और डिपॉजिटरी चार्ज वसूलते हैं. बदले में ब्रोकरेज भी इसी तरह के स्लैब स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके अपने ग्राहकों से चार्ज लेते हैं.

हालांकि इन चार्ज का समय अलग-अलग होता है. ब्रोकर आमतौर पर अपने ग्राहकों से ये फीस को डेली आधार पर वसूलते हैं. वहीं MIIs को वे ये फीस मंथली आधार पर जमा करते हैं. इसके चलते डिस्काउंट ब्रोकर्स को इन ट्रांजैक्शन चार्ज डिस्काउंट्स के जरिए 15 से 30 फीसदी के बीच कमाई हो जाती है. वहीं डीप डिस्काउंट ब्रोकर्स के लिए यह आंकड़ा 50-70 फीसदी तक चला जाता है. 

दरअसल, SEBI चाहता है कि ट्रांजैक्शन चार्जेज को लेकर पारदर्शिता रहे. सेबी की कोशिश है कि एक्सचेंज अलग ट्रांजैक्शन चार्ज न लगाए बल्कि सभी के लिए एक समान फी स्ट्रक्चर रहे. इसके अलावा सेबी यह भी चाहता है कि मार्केट प्लेयर्स को स्लैब डिस्काउंट्स मिले.

(नोट: शेयर बाजार में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)

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