नई दिल्ली. लाखों लोगों की चहेती गायिका और पद्म भूषण से सम्मानित बिहार की गायिका शारदा सिन्हा ने मंगलवार रात 9.20 बजे दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली. अपने छठ गीतों के लिए मशहूर शारदा सिन्हा का निधन भी छठ पर्व की शुरुआत के दिन ही हुआ. अब उनके लाखों चाहने वालों के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार कहां होगा? जिससे वे अपनी प्रिय गायिका के अंतिम दर्शनों के लिए पहुंच सकें. लोकगायिका शारदा सिन्हा की ससुराल बिहार के बेगूसराय जिले के सिहमा गांव में है. जबकि शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था.
कई लोगों का मानना है कि शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो सकता है. जबकि कई का कयास है कि उनका अंतिम संस्कार पटना में हो सकता है. जबकि लोक परंपरा के मुताबिक शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार बेगूसराय में होना चाहिए. अब इसके बारे में कोई भी फैसला शारदा सिन्हा के बेटे और उनके परिवार के लोग ही ले सकते हैं. बहरहाल शारदा सिन्हा का परिवार रात को बिहार निकल सकता है. अंतिम संस्कार वहीं होगा. अब देखना होगा कि बिहार में पटना या बेगूसराय में कहां उनका अंतिम संस्कार किया जाता है.
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शारदा सिन्हा ने मैथिली लोकगीतों से अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने भोजपुरी, मगही, और हिन्दी में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा. शारदा सिन्हा को लोक संगीत में उनके योगदान के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं. उन्हें साल 1991 में पद्म श्री और 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड में भी ‘कहे तो से सजना’ और ‘तार बिजली’ जैसे सुपरहिट गाने दिए.
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शारदा सिन्हा की मौत पर पीएम नरेंद्र मोदी ने उनको श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा कि ‘सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं. आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी. उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति!
FIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 22:50 IST