देश में राजधानी दिल्ली में मौजूद तिहाड़ जेल को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने तिहाड़ जेल को दिल्ली के बाहरी इलाके में शिफ्ट करने का फैसला लिया है. इसके लिए 10 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया गया है. यह फैसला आवासीय क्षेत्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. 

बता दें, जेल में सजायाफ्ता कैदियों के लिए कई नियम निर्धारित किए जाते हैं, जिसमें उन्हें जेल में रहकर काम करना होता है और इसके बदले कैदियों को मेहनताना दिया जाता है. जेल में कैदियों के खाते खोले जाते हैं और काम से होने वाली उनकी कमाई को इसमें जमा किया जाता है. हालांकि कैदियों को कुछ पैसे जेल की कैंटीन में भी खर्च के लिए दिए जाते हैं. उन्हें पैसों के बदले कूपन दिए जाते हैं, जिससे वे अपनी जरूरत का सामान खरीद सकते हैं. ऐसे में क्या आपको पता है कि कैदियों का मेहनताना कैसे निर्धारित किया जाता है, क्या सभी जेलों में कैदियों को एकसमान मेहनताना दिया जाता है, या राज्य के हिसाब से इसमें अंतर होता है? आइए जानते हैं… 

किस तरह मिलता है कैदियों को वेतन

जेल में जितने भी कैदी होते हैं, उन्हें अलग-अलग तरह के काम दिए जाते हैं. यह काम उनकी सजा का हिस्सा होता है. काम का निर्धारण कैदी की क्षमता या फिर स्वेच्छा से किया जाता है. कैदियों को काम के बदले वेतन का निर्धारण भी अलग-अलग वर्गों के हिसाब से किया जाता है, जिसमें कुशल, अर्द्ध कुशल और अकुशल कैदी शामिल हैं. इनका मेहनताना अलग-अलग होता है, जिसकी दर समय-समय पर संशोधित की जाती है. 

क्या अलग-अलग होता है मेहनताना

कैदियों को मिलने वाला मेहनताना राज्य सरकार तय करती हैं. ऐसे में यह हर राज्य में अलग-अलग हो सकता है. कुछ जेलों में कैदियों के ऐसी चीजें बनवाई जाती हैं, जिन्हें बाद में बाजार में भी बेचा जाता है. इनमें फर्नीचर, खिलौने, सजावट का सामान शामिल है. इससे कैदियों की अच्छी कमाई होती है. वहीं, अन्य जेलों के कामों के लिए कैदियों को अलग मेहनताना मिलता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली की तिहाड़ जेल में कुशल कैदियों को 171, अर्द्ध कुशल कैदियों का 138 और अकुशल कैदियों को 107 रुपये प्रति दिन मजदूरी दी जाती है. इसी तरह बिहार में यह 156 रुपये, 112 रुपये और 103 रुपये थी. राजस्थान में यह 150 और 130 रुपये थी. इसी तरह पुडुचेरी में 180 रुपये, 160 और 150 रुपये मजदूरी तय की गई है. 

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