महाकुंभ 2025 ने उत्तर प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन की नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं. इस महाआयोजन के दौरान प्रदेश सरकार ने पांच प्रमुख आध्यात्मिक कॉरिडोर विकसित किए हैं. इन कॉरिडोर के माध्यम से श्रद्धालु प्रदेश भर में आसानी से विभिन्न धार्मिक स्थलों की यात्रा कर सकेंगे, जिससे आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ा मिलेगा. वहीं ये कॉरिडोर वाराणसी, अयोध्या, लखनऊ और मथुरा समेत कई धार्मिक नगरों को एक साथ जोड़ेंगे.

पहला-कॉरिडोर प्रयाग-विन्ध्याचल-काशी

पहला प्रयाग-विन्ध्याचल-काशी कॉरिडोर है. इस कॉरिडोर के माध्यम से श्रद्धालु प्रयागराज से विन्ध्याचल देवीधाम और फिर काशी (वाराणसी) तक की यात्रा कर सकेंगे, जो शक्ति और शिव उपासना का प्रमुख मार्ग होगा.

दूसरा-कॉरिडोर प्रयागराज-अयोध्या-गोरखपुर

दूसरा प्रयागराज-अयोध्या-गोरखपुर कॉरिडोर है. यह कॉरिडोर भगवान राम और गोरखनाथ परंपरा से जुड़ा है. प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने, लेटे हनुमान, अक्षय वट, सरस्वती कूप के दर्शन कर अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए जा सकेंगे. अयोध्या के बाद श्रद्धालु गोरखपुर जाकर गोरखनाथ मंदिर में माथा टेक सकेंगे.

तीसरा- कॉरिडोर प्रयागराज-लखनऊ-नैमिषारण्य

तीसरा कॉरिडोर प्रयागराज-लखनऊ-नैमिषारण्य है. यह मार्ग श्रद्धालुओं को लखनऊ होते हुए नैमिषारण्य धाम तक ले जाएगा, जो हिंदू धर्म के 88 महातीर्थों में से एक है. 88 हजार ऋषियों की तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध है. इसे भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु, देवी सती और भगवान शिव से जोड़ा जाता है.

चौथा-कॉरिडोर प्रयागराज-राजापुर

चौथा कॉरिडोर प्रयागराज-राजापुर (बांदा)-चित्रकूट कॉरिडोर है. भगवान राम के वनवास से जुड़ा यह मार्ग श्रद्धालुओं को चित्रकूट धाम तक ले जाएगा, जहां कामदगिरि पर्वत, रामघाट और हनुमान धारा जैसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं. वहीं राजापुर गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली है, जिन्होंने श्रीरामचरितमानस, विनय पत्रिका आदि बहुत सी धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी.

पांचवां-प्रयागराज-मथुरा-वृंदावन-शुकतीर्थ

पांचवां प्रयागराज-मथुरा-वृंदावन-शुकतीर्थ (बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के माध्यम से कॉरिडोर है. इस कॉरिडोर के तहत श्रद्धालु बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के जरिए मथुरा-वृंदावन और फिर शुकतीर्थ तक जा सकेंगे, जो भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि शुक्राचार्य की तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध है. इसके आगे श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली और बाल्यकाल से जुड़े मथुरा वृंदावन भी जा सकेंगे.

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