अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती जारी है. 16 राज्यों में डोनाल्ड ट्रंप को जीत मिल चुकी है. इस बीच सबकी निगाहें कैलिफोर्निया पर टिकी हुई हैं. क्योंकि अमेरिका का यह स्टेट भारत के उत्तर प्रदेश की तरह है. जैसे भारत के लोकसभा चुनाव में सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश पर रहती हैं, क्योंकि यहां पर सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटे हैं. ठीक इसी तरह अमेरिका के कैलिफोर्निया में सबसे ज्यादा 54 इलेक्टोरल कॉलेज हैं.

जानें 7 स्विंग स्टेट्स का हाल

जॉर्जिया: ट्रंप आगे चल रहे हैं.

पेंसिल्वेनिया: कमला हैरिस आगे

नॉर्थ कैरोलिना: ट्रंप आगे

मिशिगन: कमला आगे

विस्कॉन्सिन: डोनाल्ड ट्रंप आगे

नेवादा: रुझानों की प्रतिक्षा है.

एरिजोना: रुझानों की प्रतिक्षा है.

क्या होता है इलेक्टोरल कॉलेज?

इलेक्टोरल कॉलेज दरअसल वह निकाय है, जो राष्ट्रपति को चुनता है. इसे आसान भाषा में कुछ यूं समझिए कि आम जनता राष्ट्रपति चुनाव में ऐसे लोगों को वोट देते हैं जो इलेक्टोरल कॉलेज बनाते हैं और उनका काम देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को चुनना है. नवंबर के पहले सप्ताह में मंगलवार को वोटिंग उन मतदाताओं के लिए होती है जो राष्ट्रपति को चुनते हैं. ये इलेक्टर्स निर्वाचित होने के बाद दिसंबर महीने में अपने-अपने राज्य में एक जगह इकट्ठा होते हैं और राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोट करते हैं.

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स्विंग स्टेट्स में कितने इलेक्टोरल कॉलेज वोट?

पेंसिल्वेनिया – 19

जॉर्जिया – 16

नॉर्थ कैरोलिना – 16

मिशिगन – 15

एरिजोना – 11

विस्कॉन्सिन – 10

नेवादा – 6

कैसे तय होता है राष्ट्रपति?

अमेरिका का राष्ट्रपति का चुनाव एक अप्रत्यक्ष प्रक्रिया है, जिसमें सभी राज्यों के नागरिक इलेक्टोरल कॉलेज के कुछ सदस्यों के लिए वोट करते हैं. इन सदस्यों को इलेक्टर्स कहा जाता है. ये इलेक्टर्स इसके बाद प्रत्यक्ष वोट डालते हैं जिन्हें इलेक्टोरल वोट कहा जाता है. इनके वोट अमेरिका के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए होते हैं. ऐसे उम्मीदवार जिन्हें इलेक्टोरल वोट्स में बहुमत मिलता है राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने जाते हैं.

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समझ लीजिए, कुल 538 सीटों पर चुनाव का विजेता वह उम्मीदवार होता है जो 270 या उससे अधिक सीटें जीतता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वही राष्ट्रपति बन जाए. यह संभव है कि कोई उम्मीदवार राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक वोट जीत ले लेकिन फिर भी वह इलेक्टोरल कॉलेज की ओर से जीत नहीं पाए. ऐसा मामला 2016 में सामने आया था, जब हिलेरी क्लिंटन इलेक्टोरल कॉलेज की ओर से नहीं जीत पाई थीं.

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