इस पावर सप्लाई अपग्रेड से वंदे भारत, राजधानी और दूसरी बड़ी ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से आसानी से चल सकेंगी। मौजूदा व्यवस्था में इतनी तेज स्पीड पर ट्रेनों पर ज्यादा लोड पड़ता है। पश्चिम रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, हाई-पावर केबल लगाने के लिए टेंडर निकाला गया है। इस पूरे काम पर करीब 60 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अभी ट्रेनों को 25000 वोल्ट की बिजली मिलती है, जिसे दोगुना किया जाएगा। एक अधिकारी ने बताया, ‘हम बिजली सप्लाई को 2×25000 वोल्ट तक बढ़ाएंगे। इसके लिए रेलवे ट्रैक के किनारे पोल और दूसरे जरूरी उपकरण लगाने की जगह भी बनाएंगे।’
हो चुका है स्पीड ट्रायल
रेलवे पहले से ही ट्रैक सुधारने का काम कर रहा है ताकि तेज रफ्तार ट्रेनें बिना रुकावट दौड़ सकें। पिछले साल से रेलवे मुंबई-अहमदाबाद रूट पर 130 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से ट्रायल कर रहा है, जिसमें वंदे भारत स्लीपर ट्रेन भी शामिल थी। पश्चिम रेलवे पर मुंबई से अहमदाबाद के बीच 9 अगस्त, 2024 को 130kmph की स्पीड से पहला ट्रायल हुआ था। इसमें 20 कोच वाली वंदे भारत ट्रेन का इस्तेमाल हुआ था। रिसर्च डिज़ाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइज़ेशन (RDSO) की टीम द्वारा सफल ट्रायल किया गया था। इस रूट पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाना मिशन रफ़्तार का हिस्सा है जो मुंबई से दिल्ली के बीच के लिए बना था। एक अधिकारी ने बताया कि जब ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चलने लगेंगी, तो यात्रियों का सफर 45 से 60 मिनट कम हो जाएगा। अभी मुंबई से अहमदाबाद पहुंचने में 5 घंटे 25 मिनट लगते हैं।
मुंबई का पहला हाई-स्पीड ट्रेन रूट
यह मुंबई से शुरू होने वाला पहला ऐसा रूट होगा जहां वंदे भारत ट्रेनें सेमी-हाई स्पीड में चलेंगी। इस रूट पर रेलवे ने पहले ही 120 से ज्यादा पुल मजबूत किए, 138 पुलों की मरम्मत की और 134 टेढ़े मोड़ों को सीधा किया है। इसके अलावा, 792 किलोमीटर के रूट पर सिक्योरिटी बैरियर लगाए गए हैं ताकि लोग और जानवर ट्रैक पर न आ सकें। स्पीड से ट्रेन दौड़ाने के लिए पूरे रूट पर पटरियों के दोनों छोर पर फेंसिंग जरूरी है। मुंबई सेंट्रल से नागदा तक रूट के लिए विरार से नागदा तक 631 और किमी वडोदरा से अहमदाबाद तक 185 किमी के रूट को दीवार या मेटल फेंसिंग से सुरक्षित किया गया है। इनमें से 245 किमी हिस्से पर दीवार और 571 किमी हिस्से पर फेंसिंग बनाई जा चुकी है। रेलवे ‘कवच’ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके ट्रेन सफर को और सेफ बनाएगा। इस पूरे प्रोजेक्ट पर वेस्टर्न रेलवे के हिस्से में 3,959 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि पूरे दिल्ली-मुंबई रूट पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
मुंबई-अहमदाबाद रूट पर 50 से ज्यादा ट्रेनें
फिलहाल मुंबई और अहमदाबाद के बीच 50 से ज्यादा ट्रेनें चलती हैं, जिनमें वंदे भारत, तेजस और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें शामिल हैं। मुंबई सेंट्रल से बोरिवली के बीच ट्रेनें 100 किलोमीटर प्रति घंटा, जबकि बोरिवली से विरार के बीच 110 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चलती हैं।
दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा सबसे अहम रूट
पांच साल पहले मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए ‘मिशन रफ्तार’ परियोजना की शुरुआत हुई थी। 1,478 रूट किमी और 8 हजार करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट से जुड़े काम पूरे हो चुके हैं। दिल्ली-मुंबई रूट का लगभग 50% (694 किलोमीटर) हिस्सा वेस्टर्न रेलवे के अंदर आता है, जो मुंबई सेंट्रल से नागदा तक फैला है। बाकी हिस्सा वेस्ट सेंट्रल रेलवे और नॉर्दर्न रेलवे के अंदर आता है। इसके अलावा, रेलवे 1,525 किलोमीटर लंबे दिल्ली-हावड़ा रूट पर सफर को तेज करने के लिए काम कर रहा है।
आंकड़ों में प्रॉजेक्ट
कॉरिडोर: मुंबई से दिल्ली
मंजूर: 2017-18
कुल लंबाई: 1,478 किमी
लागत: ₹8 हजार करोड़