पिछले तीन सालों में फसल पर पड़ा असर
पिछले तीन सालों में कटाई से पहले अत्यधिक गर्मी और मार्च में बेमौसम बारिश से गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। जनवरी 2025 में गेहूं की महंगाई दर 8.8% (साल-दर-साल) रही, लेकिन अगस्त 2023 से यह सिंगल डिजिट में बनी हुई है।
व्यापारियों के अनुसार, फरवरी-मार्च आमतौर पर गेहूं की सप्लाई के लिए कमजोर अवधि होती है। खाद्य मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि गेहूं की उपलब्धता पर्याप्त है। मंत्रालय ने कहा, ‘सरकार गेहूं की कीमतों पर कड़ी नजर रख रही है और उपभोक्ताओं के लिए मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठा रही है।’
सरकार ने सख्त की है स्टॉक लिमिट
गुरुवार को सरकार ने कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा को सख्त कर दिया। सरकार ने कहा था कि व्यापारी और थोक विक्रेता केवल 250 टन गेहूं रख सकते हैं, जबकि पहले 1,000 टन रखने की अनुमति थी। यह संशोधित स्टॉक सीमा 31 मार्च तक लागू रहेगी।
व्यापार सूत्रों ने कहा कि वैश्विक गेहूं की कीमतें घरेलू कीमतों से कम हैं। मंडी कीमतें लगभग 2600 रुपये/क्विंटल रहने की संभावना है, जब नई फसल आना शुरू हो जाएगी। मध्य प्रदेश और राजस्थान ने केंद्र की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2425 रुपये/क्विंटल पर 125 रुपये/क्विंटल का बोनस देने की घोषणा की है। यह बोनस 2024-25 रबी मार्केटिंग सीजन (अप्रैल-जून) के लिए है। वर्तमान में, FCI के पास 1 अप्रैल के लिए 7.46 MT के बफर के मुकाबले 15.5 MT गेहूं का स्टॉक है। पिछले महीने शुरू की गई खुले बाजार बिक्री योजना के तहत साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से आटा मिलों और प्रसंस्करणकर्ताओं जैसे थोक खरीदारों को 1.5 MT से अधिक गेहूं बेचा गया है। एजेंसियों की ओर से गेहूं की खरीद 1 अप्रैल से शुरू होगी।