राजस्थान अपने शाही इतिहास, भव्य महलों और समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यहां के प्राचीन और दिव्य माता मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। चैत्र नवरात्रि के दौरान, अगर आप मां दुर्गा के विभिन्न रूपों के दर्शन करना चाहते हैं, तो राजस्थान में स्थित इन प्रसिद्ध माता मंदिरों की यात्रा जरूर करें। कहा जाता है कि सच्चे मन से यहां दर्शन करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
1) नीमच माता मंदिर (उदयपुर)
उदयपुर के फतेह सागर झील के किनारे स्थित यह मंदिर देवी नीमच माता को समर्पित है। मंदिर हरी-भरी पहाड़ी पर स्थित है, जहां पहुंचने के लिए सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर से झील और आसपास का नजारा अद्भुत और मनमोहक दिखता है, जिससे श्रद्धालु को आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।
2) कैला देवी मंदिर (करौली)
यह मंदिर देवी कैला माता को समर्पित है और करौली जिले के कैला देवी गांव में स्थित है। मंदिर के पास कालीसिल नदी बहती है, जहां भक्त स्नान करके देवी के दर्शन करते हैं। मंदिर प्रांगण में लाल झंडों की एक लंबी कतार देखने को मिलती है, जिसे श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने की कामना के साथ बांधते हैं।
3) अंबिका माता मंदिर
यह प्राचीन मंदिर देवी अंबिका (दुर्गा के स्वरूप) को समर्पित है। यह राजस्थान के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है, जहां अंबिका, दुर्गा और अन्य देवियों की मूर्तियां स्थापित हैं। शक्ति उपासकों के लिए यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है।
4) जीण माता मंदिर (सीकर)
यह प्रसिद्ध मंदिर सीकर जिले के जीणमाता गांव में स्थित है। इस मंदिर की स्थापना का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह एक हजार साल से भी अधिक पुराना है। यहां हर साल चैत्र और अश्विन नवरात्रि में हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और मां जीण माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
5) करणी माता मंदिर (देशनोक, बीकानेर)
बीकानेर के पास देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर, जिसे चूहों के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म की देवी करणी माता को समर्पित है। इस मंदिर में लगभग 20,000 चूहे रहते हैं, जिन्हें पवित्र माना जाता है। भक्त न केवल करणी माता के दर्शन के लिए, बल्कि इन चूहों को आशीर्वाद स्वरूप देखने के लिए भी यहां आते हैं। इस मंदिर से जुड़ी रोचक पौराणिक कहानियां भी हैं, जो इसे और खास बनाती हैं।