उत्तराखंड के कई इलाकों में लगातार भूकंप के झटकों ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। खासतौर पर उत्तरकाशी में बीते आठ दिनों में आठ बार धरती हिल चुकी है, जिससे स्थानीय लोग डरे हुए हैं। भले ही अभी तक कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि भूगर्भीय हलचल बढ़ रही है, जो भविष्य में किसी बड़े भूकंप का संकेत हो सकता है।

लगातार झटकों से डर का माहौल

उत्तरकाशी में 24 जनवरी से 1 फरवरी तक कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। हल्की सी भी हलचल होते ही लोग सतर्क हो जाते हैं और घबराकर घरों से बाहर निकलने लगते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार टकरा रही हैं, जिससे ये झटके आ रहे हैं।

विशेषज्ञों की चेतावनी: उत्तराखंड का यह इलाका भूकंप के लिहाज से बहुत संवेदनशील (Seismic Zone V) है, जहां भविष्य में 7 से 8 मैग्नीट्यूड तक का बड़ा भूकंप आ सकता है। ऐसे में सावधानी और सतर्कता जरूरी है।

उत्तराखंड में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं?

उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में आता है, जो भूगर्भीय हलचलों का केंद्र माना जाता है। यहां इंडियन और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार टकरा रही हैं। जब ये प्लेट्स हिलती हैं, तो धरती के अंदर संचित ऊर्जा अचानक निकलती है, जिससे भूकंप के झटके महसूस होते हैं।

मुख्य केंद्रीय भ्रंश (Main Central Thrust – MCT): भूकंप की असली वजह

उत्तराखंड में भूकंप की प्रमुख वजह मुख्य केंद्रीय भ्रंश (MCT) है। यह 2200 किलोमीटर लंबी एक बड़ी भूगर्भीय दरार है, जो उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर फैली हुई है। इस दरार के कारण यहां बार-बार भूकंप आते हैं।

क्या है MCT?

  • यह एक भूगर्भीय फॉल्ट लाइन है, जहां धरती की सतह लगातार खिसक रही है।
  • इस हलचल से ऊर्जा निकलती है, जिससे भूकंप के झटके महसूस होते हैं।
  • उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चमोली और रुद्रप्रयाग सबसे संवेदनशील इलाके माने जाते हैं।

उत्तरकाशी में 8 दिनों में 8 झटके – क्या ये किसी बड़े खतरे का संकेत हैं?

उत्तरकाशी में हाल ही में आए भूकंप के झटकों का विवरण –

24 जनवरी – तीन बार झटके महसूस किए गए, जिनमें से दो 2.5 और 3.5 मैग्नीट्यूड के थे।
25 जनवरी – दो झटके आए, जिनमें से एक 2.4 मैग्नीट्यूड का था।
31 जनवरी और 1 फरवरी – 2.7 मैग्नीट्यूड के झटके दर्ज किए गए।

क्या यह किसी बड़े भूकंप की चेतावनी है?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, लगातार छोटे-छोटे भूकंप आना खतरे का संकेत हो सकता है। यह इस बात को दर्शाता है कि धरती के अंदर तनाव बढ़ रहा है, जो किसी दिन बड़े भूकंप के रूप में सामने आ सकता है।

क्या उत्तराखंड में भविष्य में बड़ा भूकंप आ सकता है?

वैज्ञानिकों की राय:

आईआईटी रुड़की, वाडिया भूविज्ञान संस्थान और IMD के विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड का यह क्षेत्र Seismic Zone V में आता है, जो सबसे खतरनाक भूकंप संभावित क्षेत्र है।
2015 में नेपाल में आए 7.8 मैग्नीट्यूड के भूकंप ने पूरे उत्तर भारत को हिला दिया था।
अगर उत्तराखंड में 7-8 मैग्नीट्यूड का भूकंप आता है, तो इसका असर दिल्ली, यूपी, बिहार और नेपाल तक हो सकता है।

उत्तराखंड में बड़े भूकंप का इतिहास:
1991 – उत्तरकाशी भूकंप (6.8 मैग्नीट्यूड) – 768 लोगों की मौत।
1999 – चमोली भूकंप (6.6 मैग्नीट्यूड) – 103 लोगों की मौत।
2017 – पिथौरागढ़ में 5.5 मैग्नीट्यूड का भूकंप।

भूकंप से बचाव के लिए क्या करें?

भूकंप के समय क्या करें?

  • घर, ऑफिस या बिल्डिंग में हैं तो टेबल या मजबूत फर्नीचर के नीचे छिपें।
  • अगर बाहर हैं, तो खुले मैदान में चले जाएं और बिल्डिंग या पेड़ों से दूर रहें।
  • लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, सीढ़ियों से उतरें।
  • गैस और बिजली के स्विच बंद करें, ताकि आग न लगे।

भूकंप के समय क्या न करें?

  • घबराएं नहीं, शांत रहें और सही निर्णय लें।
  • खिड़की, शीशे और पंखों के पास खड़े न हों, ये गिर सकते हैं।
  • वाहन चला रहे हैं तो तुरंत रोक दें और अंदर ही रहें।

By admin

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