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Kerala: सावित्री, जो डॉक्टर बनने का सपना देखती थी, कॉलेज में रैगिंग का शिकार हुई. मानसिक आघात से टूटकर उसने अपनी आँखें फोड़ लीं और अंधकारमय जीवन जीया. 29 साल बाद बीमारी के कारण उसकी मौत हो गई.

कॉलेज ने बर्बाद कर दी जिंदगी! रैगिंग का ऐसा सदमा लगा कि खुद की आंखें फोड़ ली..

सावित्री रैगिंग घटना

चेरुवथुर की सावित्री बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखती थी. पढ़ाई में होशियार और हर गतिविधि में आगे रहने वाली इस लड़की के परिवार को उस पर गर्व था. लेकिन कॉलेज की दहलीज़ पार करते ही उसका यह सपना चकनाचूर हो गया. सिर्फ़ तीन दिन की कॉलेज लाइफ ने उसकी पूरी ज़िंदगी तबाह कर दी. 29 साल पहले हुए एक दर्दनाक हादसे ने उसे ऐसा ज़ख्म दिया जिससे वह कभी उबर नहीं पाई.

रैगिंग बनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी सज़ा
1996 में जब सावित्री ने कन्हानगढ़ के नेहरू कॉलेज में ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू की, तो उसे उम्मीद थी कि यह सफर उसके सपनों को सच करने की ओर बढ़ेगा. लेकिन पहले ही दिन सीनियर छात्रों ने उसे रैगिंग का शिकार बना लिया. यह सिर्फ़ मजाक नहीं था, बल्कि मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना थी. सावित्री को हर दिन डर और अपमान सहना पड़ा. जब उसकी तकलीफ हद से बढ़ गई, तो उसने अपने कमरे से बाहर जाने तक से इनकार कर दिया.

अपनी ही आँखों से रोशनी छीन ली
रैगिंग के कारण सावित्री इतनी टूट चुकी थी कि उसने कभी न बाहर जाने का फैसला कर लिया. वह उन लोगों को दोबारा देखना तक नहीं चाहती थी जिन्होंने उसे यह दर्द दिया था. इस मानसिक पीड़ा से बाहर निकलने का कोई रास्ता न देख, उसने एक खौफनाक कदम उठाया. उसने अपनी ही आँखें फोड़ लीं और अपनी ज़िंदगी को अंधकार में धकेल दिया. यह घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई, लेकिन किसी ने भी इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराई. पुलिस ने भी कोई केस दर्ज नहीं किया क्योंकि कोई शिकायतकर्ता नहीं था.

परिवार की लंबी जंग, लेकिन समाज की बेरुख़ी
सावित्री ने कई बार आत्महत्या की कोशिश की, लेकिन उसकी मां एम.वी. वट्टीची और बहनों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की. उन्होंने सालों तक उसका इलाज कराया, लेकिन उसके मानसिक हालात नहीं सुधर सके. इस बीच, समाज ने उसे भुला दिया और उसकी तकलीफ पर कोई ध्यान नहीं दिया. सावित्री अकेली रह गई, अपने अंधेरे में, जहां उसे कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आई.

मीडिया ने उठाई आवाज, कोर्ट ने लिया एक्शन2010 में जब मीडिया ने उसकी कहानी दुनिया के सामने रखी, तब जाकर इस पर चर्चा हुई. हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और जिला कलेक्टर को निर्देश दिया कि सावित्री को विशेषज्ञ इलाज मुहैया कराया जाए. साथ ही, कॉलेज शिक्षा निदेशक, तकनीकी शिक्षा निदेशक और डीजीपी को आदेश दिया गया कि वे रैगिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाएं. इसके बाद, सावित्री को तिरुवनंतपुरम के मानसिक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसने 10 साल बिताए.

आखिरी दिनों में भी संघर्ष करती रही सावित्री
जब सावित्री की हालत थोड़ी बेहतर हुई, तो वह मंजेश्वरम स्थित स्नेहालय पुनर्वास केंद्र में रहने लगी. लेकिन उसकी तकलीफ खत्म नहीं हुई. हाल ही में उसे तेज बुखार हुआ, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई. उसे कन्हानगढ़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन संक्रमण के कारण सोमवार को उसकी मौत हो गई.

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