26 फरवरी 2025, बुधवार को हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रहेगी। इस दिन श्रावण नक्षत्र और परिघ योग का संयोग बन रहा है। अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं रहेगा, जबकि राहुकाल दोपहर 12:23 से 13:58 तक रहेगा। चंद्रमा मकर राशि में गोचर करेंगे।
हिंदू पंचांग क्या है?
हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग भी कहा जाता है। यह समय और काल की सटीक गणना करने का एक प्रमुख साधन है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है, जिन्हें तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण कहा जाता है।
दैनिक पंचांग में हमें दिन के शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रहों की स्थिति, हिंदू मास और पक्ष की विस्तृत जानकारी मिलती है।
26 फरवरी 2025 का पंचांग विवरण
पंचांग घटक | समय और विवरण |
---|---|
तिथि | त्रयोदशी (11:06 बजे तक) |
नक्षत्र | श्रावण (17:11 बजे तक) |
प्रथम करण | वणिज (11:06 बजे तक) |
द्वितीय करण | विष्टि (22:01 बजे तक) |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
वार | बुधवार |
योग | परिघ (26:49 बजे तक) |
सूर्योदय | 06:52 बजे |
सूर्यास्त | 18:14 बजे |
चंद्रमा | मकर राशि में |
राहुकाल | 12:33 – 13:58 बजे |
विक्रमी संवत् | 2081 |
शक संवत | 1946 |
मास | फाल्गुन |
शुभ मुहूर्त | अभिजीत मुहूर्त नहीं |
पंचांग के पांच प्रमुख अंग
1. तिथि
हिंदू काल गणना के अनुसार, जब चंद्रमा की स्थिति सूर्य से 12 अंश आगे बढ़ती है, तो इसे तिथि कहा जाता है। एक माह में कुल 30 तिथियां होती हैं, जो दो पक्षों में विभाजित होती हैं:
- शुक्ल पक्ष – पूर्णिमा को समाप्त होता है।
- कृष्ण पक्ष – अमावस्या को समाप्त होता है।
तिथियों के नाम
- प्रतिपदा
- द्वितीया
- तृतीया
- चतुर्थी
- पंचमी
- षष्ठी
- सप्तमी
- अष्टमी
- नवमी
- दशमी
- एकादशी
- द्वादशी
- त्रयोदशी
- चतुर्दशी
- अमावस्या / पूर्णिमा
2. नक्षत्र
आकाश मंडल में स्थित 27 तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। हर नक्षत्र का स्वामी एक ग्रह होता है।
27 नक्षत्रों के नाम
- अश्विनी
- भरणी
- कृत्तिका
- रोहिणी
- मृगशिरा
- आर्द्रा
- पुनर्वसु
- पुष्य
- आश्लेषा
- मघा
- पूर्वाफाल्गुनी
- उत्तराफाल्गुनी
- हस्त
- चित्रा
- स्वाति
- विशाखा
- अनुराधा
- ज्येष्ठा
- मूल
- पूर्वाषाढ़ा
- उत्तराषाढ़ा
- श्रवण
- धनिष्ठा
- शतभिषा
- पूर्वाभाद्रपद
- उत्तराभाद्रपद
- रेवती
3. वार
सप्ताह के सात दिनों के नाम ग्रहों पर आधारित हैं:
- सोमवार – चंद्र ग्रह
- मंगलवार – मंगल ग्रह
- बुधवार – बुध ग्रह
- गुरुवार – बृहस्पति ग्रह
- शुक्रवार – शुक्र ग्रह
- शनिवार – शनि ग्रह
- रविवार – सूर्य ग्रह
4. योग
सूर्य और चंद्रमा की विशेष दूरियों के आधार पर कुल 27 योग बनते हैं।
27 योगों के नाम
- विष्कुम्भ
- प्रीति
- आयुष्मान
- सौभाग्य
- शोभन
- अतिगण्ड
- सुकर्मा
- धृति
- शूल
- गण्ड
- वृद्धि
- ध्रुव
- व्याघात
- हर्षण
- वज्र
- सिद्धि
- व्यातीपात
- वरीयान
- परिघ
- शिव
- सिद्ध
- साध्य
- शुभ
- शुक्ल
- ब्रह्म
- इन्द्र
- वैधृति
5. करण
एक तिथि के दो भाग होते हैं, जिन्हें करण कहा जाता है। कुल 11 करण होते हैं।
11 करणों के नाम
- बव
- बालव
- कौलव
- तैतिल
- गर
- वणिज
- विष्टि (भद्रा)
- शकुनि
- चतुष्पाद
- नाग
- किस्तुघ्न
नोट: विष्टि करण को भद्रा कहा जाता है और इसमें शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।