दरअसल, हिंदू एकता पदयात्रा के एक दिन पहले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दलितों और आदिवासियों को मंदिर का पुजारी बनाने पर कहा था जब हम सभी को हिंदू बनाने निकल पड़े हैं तो न कोई दलित है न अगला है और न पिछड़ा है, न बिछड़ा है, न कोई ब्राह्मण है… सब हिंदू हैं। लेकिन, गुरुवार के दिन यात्रा के दौरान दलितों और आदिवासियों को मंदिर का पुजारी बनाए जाने के बयान पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पलट गए। उन्होंने, कहा कि शंकराचार्य एवं साधु संतों का निर्णय ही इस मामले में अंतिम होगा। फिलहाल देश में सामाजिक समरसता होना बहुत जरूरी है। हम चाहते हैं कि देश से जातिवाद और छुआछूत जैसी चीज खत्म हो।
पदयात्रा की सुरक्षा में लगे आसपास के जवान
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने जानकारी देते हुए बताया कि 15 किलोमीटर की पदयात्रा करने के बाद यात्रा में शामिल लोग उनके साथ विश्राम करेंगे। विश्राम के साथ कादरी गांव के पास ही बने एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में खाने-पीने एवं ठहरने की व्यवस्था की गई है। यहां पर लगभग 50 हजार लोगों के लिए भोजन और 1 लाख लोगों की ठहरने की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के लिहाज से छतरपुर जिले के अलावा आसपास का पुलिस बल मौजूद रहा। लगभग 600 पुलिसकर्मी बाबा की सुरक्षा में तैनात थे।
दलितों को पुजारी बनाए जाने पर पलटे धीरेंद्र शास्त्री
आदिवासियों और दलितों को मंदिरों में पुजारी बनाए जाने के बयान पर जब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से बात की गई तो वह अपने बयान से पलटते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि जहां तक दलित एवं आदिवासियों को मंदिरों के अंदर पुजारी बनाए जाने की बात है तो वह शंकराचार्य एवं साधु संतों पर निर्भर करती है। उनका निर्णय ही अंतिम निर्णय होगा। हालांकि इसके पहले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक प्रेस वार्ता में पुरजोर तरीके से यह बात कही थी कि आदिवासी एवं दलितों को मंदिरों का पुजारी बनाया जाना चाहिए। इसका मैं समर्थन करता हूं।
हमारे हाथ में होता तो कर देता
कुछ दिन पहले दिए बयान में धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि ‘वैदिक परंपरा का अनुसरण करने वाले वैष्णव परंपरा को मानने वाले, हमारे देश के शंकराचार्य, महामंडलेश्वर से निवेदन है कि वे दलितों को भी यह अधिकार दें। अगर हमारे हाथ में होता तो हम आज ही कर देते’।