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Kerala News: केरल हाईकोर्ट ने झूठे यौन उत्पीड़न के आरोपों पर पुलिस कार्रवाई की अनुमति दी है और कहा कि झूठी शिकायतों से नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती. कोर्ट ने एक मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत दी.

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अदालत ने पाया कि इस मामले में याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच यौन संबंध आपसी सहमति से थे. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

  • केरल हाईकोर्ट ने झूठे यौन उत्पीड़न के आरोपों पर पुलिस कार्रवाई की अनुमति दी.
  • झूठी शिकायतों से नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती, विस्तृत जांच जरूरी.
  • कोर्ट ने आरोपी को अग्रिम जमानत दी, झूठे आरोपों पर सख्त टिप्पणी की.

न्यूज18 मलयालम
Kerala News:
यौन उत्पीड़न महिलाओं के लिए एक पीड़ादायक स्थिति है. कोर्ट में आए दिन इस तरह के मामले आते रहते हैं. लेकिन कई बार कोर्ट में झूठे मामले भी सामने आते हैं. ऐसे में केरल हाईकोर्ट ने एक बड़ा आदेश दिया है. यह आदेश हर पुरुष को पढ़ना चाहिए. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि झूठे यौन उत्पीड़न के आरोपों पर पुलिस कार्रवाई कर सकती है.

अदालत ने कहा कि अगर आरोप झूठे पाए जाते हैं तो शिकायतकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. सभी महिलाओं द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप सही नहीं हो सकते हैं, इसलिए विस्तृत जांच जरूरी है. हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि झूठी शिकायतों में अधिकारी ही नहीं बल्कि अदालत का भी समय बर्बाद होता है. अदालत ने यह टिप्पणी यौन उत्पीड़न के एक मामले में आरोपी कन्नूर निवासी को अग्रिम जमानत देते हुए की.

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कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
अदालत ने कहा कि कुछ पुलिस अधिकारी झूठी शिकायत साबित होने पर भी कार्रवाई करने से हिचकिचाते हैं. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में चिंता की कोई बात नहीं है, अगर अधिकारियों की जांच सही है तो अदालत उनके हितों की रक्षा करेगी. झूठी शिकायतों से व्यक्तियों को होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती, इसलिए पुलिस को जांच के दौरान ही सच्चाई का पता लगाना चाहिए.

क्या था मामला?
जज ए बदरुद्दीन ने यह टिप्पणी उस मामले में की जिसमें आरोपी एक पुलिस अधिकारी था. मामला यह था कि आरोपी ने शिकायतकर्ता के साथ कई बार यौन संबंध बनाए और 9,30,000 रुपये लिए. उसके खिलाफ अवैध रूप से कैद करने, एक ही महिला के साथ बार-बार बलात्कार करने जैसे आरोप थे. आरोपी का कहना था कि वह शिकायतकर्ता से शादी करना चाहता था, लेकिन बाद में उसे पता चला कि वह शादीशुदा है और दो बच्चों की मां है.

आपसी सहमती से बने थे यौन संबंध
हालांकि, अदालत ने पाया कि इस मामले में याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच यौन संबंध आपसी सहमति से थे. सहमति तभी अपराध बनती है जब उसे धोखे से प्राप्त किया जाता है. शिकायतकर्ता का कहना था कि शादी के वादे के कारण उसने यौन संबंध बनाए. लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर एक महिला बिना तलाक के शादी के वादे पर यौन संबंध बनाती है तो स्थिति अलग हो जाती है. ऐसे मामलों में शादी का वादा असंभव हो जाता है, और आरोप निराधार हैं.

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